Bihar Election: बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले है ऐसे मे चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची को लेकर बड़ा खुलासा किया है. चुनाव आयोग ने बताया कि स्पेशल इंटेशिव रिवीजन की प्रक्रिया के दौरान 50 लाख से अधिक मतदाता संदिग्ध पाये गये है. आयोग ने खुलासा करते हुये बताया कि इस सर्वे मे हमने पाया कि 18 लाख ऐसे मतदाता हैं जिनकी म्रत्यु हो चुकी है. 26 लाख ऐसे मतदाता हैं जो किसी दूसरी जगह विस्थापित हो चुके है. और 7 लाख मतदाताओं का नाम सूची मे दो बार पाया गया.
विपक्ष ने स्पेशल इंटेशिव रिवीजन की प्रक्रिया पर उठाया था सवाल
सुप्रीम कोर्ट और विपक्ष ने स्पेशल इंटेशिव रिवीजन की प्रक्रिया पर सवाल उठाये हैं, ऐसे में आयोग ने इस प्रक्रिया का बचाव करते हुये कहा कि यह प्रक्रिया सूची को सही करने मे मदद करती है. ताकि मतदाता सूची से अयोग्य लोगों को हटाया जा सके. चुनाव आयोग ने अपने हलफनामें में कहा कि स्पेशल इंटेशिव रिवीजन की प्रक्रिया मतदाता सूची से अयोग्य लोगों को हटाकर चुनाव की पारदर्शिता को बढाती है. अयोग्य ब्यकित को वोट देने का अधिकार नहीं है, इसलिए वह इस मामले में अनुच्छेद 19 या 21 के उल्लंघन होने का दावा नहीं कर सकता हैं
आयोग ने कहा, आधार कार्ड देना स्वैच्छिक
आयोग ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया मे आधार कार्ड, वोटर आईडी, और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों का इस्तेमाल सीमित रूप से किया जा रहा है. यह जवाब 24 जून के उस आदेश के जवाब मे दिया गया जिसमे बिहार में शुरू मतदाता सूची में संशोधन की बात थी. आयोग ने इस बारे में बताया कि एसआईआर की प्रक्रिया मे भरे जाने वाले फार्मो में आधार कार्ड देना स्वैच्छिक है. इस जानकारी का इस्तेमाल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 23(4) और आधार अधिनियम 2016 की धारा 9 के तहत पहचान के लिए किया जाता है.
कोर्ट ने दिया था आदेश
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को आदेश दिया था कि वह बिहार मे चल रही स्पेशल इंटेशिव रिवीजन की प्रक्रिया में आधार कार्ड, वोटर आईडी, और राशन कार्ड को वैध पहचान पत्र के रूप में स्वीकार करे. बिहार मे इसी साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे मे यह मामला गरमाया हुआ है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होने वाली है.