हर साल 22 मार्च को दुनिया भर में विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है। यह केवल एक तारीख नहीं, बल्कि हमें जल संरक्षण के महत्व को समझाने और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की प्रेरणा देने वाला अवसर है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1993 में इस दिन की शुरुआत की थी, ताकि स्वच्छ जल की आवश्यकता और जल संकट की गंभीरता को वैश्विक स्तर पर पहचाना जा सके। बदलते पर्यावरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण पानी की उपलब्धता पर बढ़ता दबाव हमें इस संसाधन के प्रति और भी संवेदनशील बनाता है।
विश्व जल दिवस क्यों महत्वपूर्ण है?
हमारी पृथ्वी का लगभग 71% हिस्सा पानी से ढका हुआ है, लेकिन इसमें से मात्र 2.5% जल ही पीने योग्य है। बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण जल संकट एक गंभीर वैश्विक समस्या बन चुका है। कई देशों और समुदायों को आज भी स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है, जिससे स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन प्रभावित हो रहा है। विश्व जल दिवस का उद्देश्य इस संकट की गंभीरता को समझाना और इसके समाधान के लिए कार्य करना है।
हर साल बदलती थीम

संयुक्त राष्ट्र हर साल इस दिन के लिए एक विशेष थीम तय करता है, जिससे जल प्रबंधन और संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। जैसे, “कोई पीछे न छूटे”, “भूजल: अदृश्य को दृश्य बनाना”, और “जल और जलवायु परिवर्तन” जैसी थीम्स ने जल संरक्षण के नए दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखा है। इन थीम्स के माध्यम से सरकारें, संस्थाएँ और आम जनता जल संकट से निपटने के लिए बेहतर योजनाएँ बना सकते हैं।
जल संरक्षण: हमारी सामूहिक जिम्मेदारी
जल केवल सरकारों या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। जल बचाने के लिए हमें अपनी दैनिक आदतों में छोटे-छोटे बदलाव करने होंगे। नल खुला न छोड़ना, वर्षा जल संचयन अपनाना, अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग करना और जल निकायों की स्वच्छता बनाए रखना, यह कुछ ऐसे कदम हैं जिनसे जल संकट को कम किया जा सकता है। जल संरक्षण न केवल हमारी वर्तमान पीढ़ी के लिए जरूरी है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी अनिवार्य है। जल संकट से बचने के लिए व्यक्तिगत, सामूहिक और सरकारी स्तर पर प्रयास करने होंगे। जल प्रबंधन को लेकर नई तकनीकों को अपनाना, प्रदूषण को कम करना और जल स्रोतों का संरक्षण सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”जल है तो जीवन है”—यह केवल एक कहावत नहीं, बल्कि एक वास्तविकता है। यह समय की मांग है कि हम इसे केवल एक संसाधन के रूप में न देखें, बल्कि इसे एक धरोहर की तरह संजोएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें।