FATF ग्रे लिस्ट:भारत ने हाल ही में विश्व बैंक और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) से संपर्क करने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान की कमजोर होती अर्थव्यवस्था और आतंकवाद के वित्तपोषण पर कठोर निगरानी सुनिश्चित करना है। यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब पाकिस्तान को जून में विश्व बैंक से 20 बिलियन डॉलर के संभावित बेलआउट पैकेज की मंजूरी की उम्मीद है।
पाकिस्तान को FATF ग्रे लिस्ट में दोबारा शामिल करने की योजना
भारत सक्रिय रूप से FATF से पाकिस्तान को फिर से “ग्रे लिस्ट” में डालने का अनुरोध करेगा, जिससे उसके वैश्विक वित्तीय लेन-देन पर कड़ी निगरानी रखी जा सके। गौरतलब है कि पाकिस्तान जून 2018 से अक्टूबर 2022 तक ग्रे लिस्ट में था, जिसे आतंकी वित्तपोषण पर कुछ वादों के आधार पर हटाया गया था। लेकिन भारत का मानना है कि पाकिस्तान की गतिविधियाँ अभी भी संदिग्ध हैं और उन्हें दोबारा जांच के घेरे में लाना आवश्यक है।
IMF बेलआउट पैकेज पर भारत की आपत्ति
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा 9 मई को पाकिस्तान को दिए गए 1 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज पर भी कड़ा विरोध जताया है। भारत ने सीधे IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा को पत्र लिखकर इस निर्णय पर नाराजगी जताई और इसे “युद्ध जैसे हालात” में गलत समय पर लिया गया कदम बताया।
पाकिस्तान पर हथियारों की खरीद के लिए फंड के दुरुपयोग का आरोप
भारत ने IMF के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया है कि पाकिस्तान को मिले 28 बेलआउट पैकेजों का उपयोग आतंरिक वित्तीय सुधारों के बजाय सैन्य खरीद और हथियारों पर किया गया है। भारत का तर्क है कि वैश्विक सहायता का उपयोग शांति और विकास के लिए होना चाहिए, न कि आक्रामक गतिविधियों के लिए।
वैश्विक मंच पर भारत की आवाज
भारत ने यह मुद्दा जर्मनी, इटली और फ्रांस जैसे G7 देशों के वित्त मंत्रियों के समक्ष भी उठाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत वैश्विक संस्थाओं के सामने पाकिस्तान की नीतियों के खिलाफ एक सशक्त और नैतिक रुख अपना रहा है।
“IMF की नई शर्तों पर भारत की सराहना*
हालांकि भारत ने बेलआउट पैकेज पर अपनी आपत्ति दर्ज की, लेकिन उसने IMF द्वारा पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाने के निर्णय का स्वागत किया है। यह कदम पाकिस्तान की वित्तीय जवाबदेही को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत का यह रुख न केवल आतंकवाद के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता और सुरक्षा को भी मजबूत करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की फंडिंग गतिविधियों की निगरानी को और सख्त बनाने के लिए कूटनीतिक दबाव बढ़ा रहा है।