Air accidents: विमान जो कभी लौटकर वापस नहीं आए। इतिहास की 9 सबसे भयानक विमान दुघटनाएं

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By Akanksha Singh Baghel

Air accidents,हवाई यात्रा को आधुनिक युग की सबसे सुरक्षित परिवहन विधियों में गिना जाता है, लेकिन इसके इतिहास में कुछ ऐसे दिल दहला देने वाले हादसे भी हुए हैं जो आज भी दुनिया को हिला देते हैं। ये घटनाएँ सिर्फ तकनीकी विफलता या मानवीय त्रुटि नहीं थीं, बल्कि कई बार इनसे हवाई सुरक्षा के मानकों में क्रांतिकारी बदलाव आए।
इस लेख में हम उन 9 प्रमुख विमान दुर्घटनाओं का विस्तार से जिक्र कर रहे हैं, जो या तो कभी लौटकर नहीं आए, या फिर जिनमें कोई जीवित नहीं बचा।

  1. नेपाल air accidents– हिमालय की गोद में त्रासदी
    (A) यति एयरलाइंस ATR-72 हादसा (15 जनवरी 2023)
    नेपाल के पोखरा में हुई इस त्रासदी ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। विमान में कुल 72 लोग सवार थे, जिनमें कोई भी जीवित नहीं बचा। विमान पोखरा एयरपोर्ट के पास सेती नदी की घाटी में गिरा। हादसे के पीछे पायलट द्वारा टेक-ऑफ के बाद इंजन थ्रस्ट गलत तरीके से संभालना प्रमुख कारण बताया गया।

(B) सौर्य एयरलाइंस CRJ-200 दुर्घटना (24 जुलाई 2024)
ट्रिभुवन एयरपोर्ट, काठमांडू से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद यह विमान तकनीकी खराबी के कारण रनवे से फिसलकर एक खाई में गिर गया। इस हादसे में 18 लोगों की मृत्यु हुई और केवल पायलट ही बच पाए। नेपाल के कठिन भौगोलिक और मौसमीय हालात ऐसे हादसों को बार-बार जन्म देते हैं।

  1. मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट MH653 (4 दिसंबर 1977)
    कुआलालंपुर जा रहे बोइंग 737 विमान को उड़ान के दौरान हाईजैक कर लिया गया। पायलट का ग्राउंड कंट्रोल से संपर्क टूटने के कुछ मिनट बाद विमान तंजुंग कुपांग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। सभी 100 लोगों की मौत हो गई। यह मलेशिया के इतिहास की पहली बड़ी विमान त्रासदी थी और आज भी रहस्यमय बनी हुई है।
  2. एयर फ्रांस कॉनकॉर्ड हादसा (25 जुलाई 2000)
    सुपरसोनिक कॉनकॉर्ड विमान, जिसे उड़ान की शान माना जाता था, पेरिस से न्यूयॉर्क जाते हुए रनवे पर एक मेटल स्ट्रिप से टकरा गया जिससे उसके टायर फट गए और ईंधन टैंक में आग लग गई। विमान टेकऑफ के 77 सेकंड बाद ही एक होटल से जा टकराया। इसमें 113 लोगों की मौत हुई। इस दुर्घटना के बाद कॉनकॉर्ड विमानों का युग लगभग समाप्त हो गया।
  3. अमेरिकन एयरलाइंस और US आर्मी हेलीकॉप्टर की टक्कर (2025)
    साल 2025 में अमेरिका में एक रीजनल विमान और आर्मी का ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर हवा में टकरा गए। हादसा इतने कम समय में हुआ कि पायलट को चेतावनी देने का भी समय नहीं मिला। इस भयानक टक्कर में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। यह घटना आधुनिक तकनीक के बावजूद हवाई टकराव के खतरों को उजागर करती है।
  4. चरखी-दादरी मिड-एयर टक्कर (12 नवंबर 1996)
    भारत के चरखी-दादरी में हवा में टकराए दो बड़े विमान—सऊदी अरब का बोइंग 747 और कजाकिस्तान का इल्यूशिन-76। 349 लोगों की जान गई। इस हादसे का कारण कज़ाख पायलट का गलत ऊँचाई बनाए रखना और अंग्रेजी में कमजोर संवाद बताया गया। यह अब तक की सबसे घातक मिड-एयर कोलिजन मानी जाती है।
  5. जापान एयरलाइंस और कोस्ट गार्ड विमान टक्कर (Air accidents) (2 जनवरी 2024)
    टोक्यो के हानेडा एयरपोर्ट पर रनवे पर एक यात्री विमान और कोस्ट गार्ड के विमान की टक्कर हुई। कोहरे और निर्देशों की गलत समझ इस घटना का कारण बनी। पांच लोग मारे गए। जापान जैसी उन्नत तकनीक वाली जगह में ऐसा हादसा सुरक्षा प्रणालियों की सीमा को दर्शाता है।
  6. एयर इंडिया फ्लाइट 182 बम विस्फोट (23 जून 1985)
    टोरंटो से दिल्ली जा रही यह उड़ान आयरिश समुद्र के ऊपर उड़ रही थी जब एक शक्तिशाली बम विस्फोट के कारण हवा में ही फट गई। 329 यात्रियों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश भारतीय मूल के थे। यह घटना खालिस्तानी आतंकवाद से जुड़ी थी और आज भी सबसे भयानक विमान बम विस्फोटों में गिनी जाती है।
  7. टेनेरिफ़ हवाई अड्डा हादसा (27 मार्च 1977)
    स्पेन के टेनेरिफ़ द्वीप पर KLM और Pan Am के दो बोइंग 747 विमान कोहरे में एक ही रनवे पर आपस में टकरा गए। कुल 583 लोगों की मौत हुई—यह अब तक की सबसे घातक विमान दुर्घटना है। घटना के बाद रनवे कम्युनिकेशन और ATC प्रणाली में वैश्विक स्तर पर सुधार किया गया।
  8. मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट MH370 (8 मार्च 2014)
    हालाँकि यह लिस्ट में अंत में है, लेकिन यह सबसे रहस्यमयी है। कुआलालंपुर से बीजिंग जाते हुए यह विमान समुद्र के ऊपर अचानक लापता हो गया। 239 लोग सवार थे। आज तक विमान का मलवा पूरी तरह नहीं मिला और यह दुर्घटना रहस्य ही बनी हुई है।
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इन सभी हादसों से एक बात स्पष्ट होती है — हवाई सुरक्षा में हर छोटी चूक का मूल्य बहुत भारी हो सकता है। इन दुर्घटनाओं के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पायलट ट्रेनिंग, हवाई यातायात नियंत्रण, टक्कर बचाव प्रणाली, और तकनीकी निरीक्षण में व्यापक बदलाव लाए गए।

आज भले ही हवाई यात्रा पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित है, पर ये हादसे हमें याद दिलाते हैं कि मानवीय चूक, तकनीकी विफलता और प्राकृतिक परिस्थितियाँ एक साथ कितनी विनाशकारी हो सकती हैं।

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