Bihar के “नौतन” जिले का गहन विश्लेषण

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By Diti Tiwari

Bihar जिला – नौतन

Biharनौतन, के सिवान ज़िले का एक प्रमुख और प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रखंड है। यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है और यहां की जनसंख्या लगभग 90,000 के आसपास है, जो कि मुख्यतः कृषि पर निर्भर है। नौतन सिवान उप-मंडल के अंतर्गत आने वाले 13 प्रखंडों में से एक है और इसका प्रशासनिक मुख्यालय नौतन कस्बे में स्थित है। यह क्षेत्र लगभग 65.39 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और यहां कुल मिलाकर 46 गांव और कई ग्राम पंचायतें शामिल हैं, जिनमें अंगौटा, गंभीरपुर, खलावा, पाठों जैसे नाम प्रमुख हैं। यहां की भाषा-भाषी जनता मुख्यतः भोजपुरी बोलती है, जबकि हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी भी शासकीय भाषाएं हैं। भौगोलिक रूप से यह प्रखंड उत्तर प्रदेश की सीमा के क़रीब स्थित है और सिवान, मयरवा जैसे शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। ग्रामीण संस्कृति, जनसंख्या घनत्व, और सामाजिक ताने-बाने के कारण यह क्षेत्र सिवान ज़िले के विकास में अहम भूमिका निभाता है।

नौतन जिले की विशेषता (संस्कृति धरोहर, जिले का उपनाम, विशेषताएं)
नौतन की सांस्कृतिक धरोहर इसकी लोक परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं, त्योहारों और सामाजिक जीवन में गहराई से रची-बसी हुई है। यहां की संस्कृति मुख्यतः भोजपुरी अंचल की समृद्ध विरासत को समेटे हुए है, जो लोकगीतों, नृत्य, परंपरागत पहनावे और मेलों के माध्यम से अभिव्यक्त होती है।

यहां के ग्रामीण समाज में भोजपुरी लोकगीतों का विशेष महत्व है — जैसे सोहर, कजरी, चैता, बिरहा और झूमर। शादी-विवाह से लेकर खेतों में काम करते समय तक, हर अवसर पर गीतों के माध्यम से जीवन के अनुभवों को साझा किया जाता है। महिलाएं पारंपरिक तरीके से अंगीना गीत गाती हैं, जो पीढ़ियों से एक सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा हैं। त्योहारों में छठ पूजा, होली, दिवाली, मकर संक्रांति, और नाग पंचमी जैसे पर्व बड़े श्रद्धा और उल्लास से मनाए जाते हैं। खास तौर पर छठ पूजा यहां की धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, जिसमें गंगा या तालाब के किनारे सामूहिक पूजा होती है।
यहां के लोगों के पहनावे में आज भी पारंपरिकता झलकती है — महिलाएं अक्सर साड़ी और लहंगा पहनती हैं, जबकि पुरुष धोती-कुर्ता या लुंगी पहनते हैं, खासतौर पर त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के समय।

नौतन की सांस्कृतिक धरोहर इसकी मिट्टी से जुड़ी हुई है, जहां परंपराएं सिर्फ निभाई नहीं जातीं, बल्कि हर पीढ़ी को सौंपी जाती हैं — गीतों, पूजा विधियों, खानपान और जीवनशैली के ज़रिए। यह धरोहर ही इस क्षेत्र को एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और पहचानयुक्त बनाती है।

नौतन जिले का उपनाम
नौतन कोई स्वतंत्र जिला नहीं है, बल्कि बिहार राज्य के सिवान ज़िले का एक प्रखंड है। इसलिए नौतन का कोई आधिकारिक उपनाम निर्धारित नहीं है।

नौतन की विशेषताएं

  1. भौगोलिक स्थिति:
    नौतन प्रखंड सिवान जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित है और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। इसकी सीमाएं मयरवा, झिरदेई और हतुआ जैसे अन्य प्रखंडों से मिलती हैं। सीमावर्ती स्थिति होने के कारण यह क्षेत्र दो राज्यों के बीच सामाजिक और आर्थिक संपर्क का माध्यम बनता है।
  2. पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र:
    यह प्रखंड 100% ग्रामीण आबादी वाला क्षेत्र है। 2011 की जनगणना के अनुसार, नौतन की कुल जनसंख्या लगभग 90,000 है, जो 46 गांवों में फैली हुई है। ग्रामीण जीवनशैली, पारंपरिक व्यवसाय और सामाजिक संरचना यहाँ की पहचान हैं।
  3. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था:
    नौतन में मुख्य रूप से कृषि पर आधारित जीवन है। धान, गेहूं, मक्का, गन्ना और सब्जियाँ यहाँ की प्रमुख फसलें हैं। किसानों की एक बड़ी आबादी खेती और पशुपालन के माध्यम से अपने परिवार का भरण-पोषण करती है।
  4. सांस्कृतिक विरासत:
    नौतन क्षेत्र भोजपुरी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यहाँ के लोकगीत, जैसे सोहर, कजरी, बिरहा, और पर्व-त्योहार, जैसे छठ पूजा, होली, दीपावली, मकर संक्रांति आदि, क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। यहां की पारंपरिक नृत्य और संगीत शैली ग्रामीण समाज की आत्मा को जीवित रखे हुए हैं।
  5. सामाजिक और जातीय विविधता:
    यहाँ विभिन्न जातियाँ और समुदाय निवास करते हैं, जो सामाजिक सामंजस्य और लोकतांत्रिक भागीदारी में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। पंचायत चुनावों से लेकर विधानसभा चुनाव तक लोगों की राजनीतिक जागरूकता और भागीदारी उल्लेखनीय है।
  6. बुनियादी विकास और प्रशासनिक ढांचा:
    नौतन में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पंचायत भवन और अन्य आवश्यक संरचनाएं धीरे-धीरे विकसित हो रही हैं। हालांकि अब भी बहुत से क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है, फिर भी यह प्रखंड विकास की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।
  7. शिक्षा और युवाओं की भागीदारी:
    यहाँ के युवा अब शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं। कई सरकारी और निजी विद्यालयों के माध्यम से शिक्षा का स्तर धीरे-धीरे बेहतर हो रहा है। इसके अलावा बाहर पढ़ने और काम करने जाने वाले युवा भी गाँव की सोच और दिशा को बदलने में सहायक बन रहे हैं।

नौतन प्रखंड, भले ही एक ग्रामीण क्षेत्र हो, लेकिन इसकी सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक जागरूकता, और सीमावर्ती स्थिति इसे एक विशिष्ट पहचान देती है। यह क्षेत्र न केवल परंपराओं को संजोए हुए है, बल्कि विकास की ओर भी बढ़ता हुआ दिखाई देता है।

नौतन की विधानसभा
नौतन विधानसभा बिहार राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों में से एक है। यह विधानसभा क्षेत्र संख्या 6 के रूप में जाना जाता है और पश्चिम चंपारण जिला के अंतर्गत आता है। यह एक सामान्य वर्ग (General Category) की सीट है, अर्थात् यह किसी आरक्षित श्रेणी के लिए नहीं है। यह क्षेत्र सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से सक्रिय क्षेत्रों में से एक माना जाता है।
नौतन विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यहाँ हर पाँच वर्षों में बिहार विधानसभा के चुनाव होते हैं, जिसमें क्षेत्र के मतदाता अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। यह सीट पंचायत और प्रखंड स्तर पर भी सक्रिय राजनीतिक भागीदारी के लिए जानी जाती है।

बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं। इन सीटों को क्षेत्रीय जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति और सामाजिक संरचना के आधार पर विभाजित किया गया है। इनमें सामान्य, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए आरक्षित सीटें शामिल हैं। नौतन उनमें से एक सामान्य सीट है, जिसकी अपनी अलग पहचान है।

नौतन के कद्दावर नेता

  1. नारायण प्रसाद (BJP):
    वर्तमान में नौतन विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नारायण प्रसाद कर रहे हैं। वे 2015 और 2020 में लगातार विधायक निर्वाचित हुए। इसके साथ ही उन्हें 2021–22 के दौरान बिहार सरकार में पर्यटन मंत्री के रूप में भी कार्य करने का अवसर मिला। नारायण प्रसाद का राजनीतिक अनुभव और स्थानीय लोगों से जुड़ाव उन्हें एक मजबूत जनप्रतिनिधि बनाता है। इससे पहले वे बहुजन समाज पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी से भी जुड़ चुके हैं, जिससे उनकी राजनीतिक यात्रा बहुआयामी रही है।
  2. बैद्यनाथ प्रसाद महतो (JDU):
    नौतन विधानसभा के पूर्व विधायक बैद्यनाथ प्रसाद महतो को इस क्षेत्र के सबसे सशक्त नेताओं में गिना जाता है। वे वर्ष 2000, फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में लगातार विधायक चुने गए। इसके बाद वे लोकसभा सांसद भी बने और बिहार सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनकी पहचान एक समर्पित जनप्रतिनिधि के रूप में थी, जिनका ध्यान विकास कार्यों और जनता से जुड़े मुद्दों पर विशेष रूप से रहता था।
  3. सैतान यादव (स्वतंत्र नेता):
    वर्ष 1995 के विधानसभा चुनावों में सैतान यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी। उस समय उन्होंने प्रमुख दलों के नेताओं को हराकर यह सीट हासिल की, जो उनकी लोकप्रियता और जन समर्थन को दर्शाता है। उनका राजनीतिक करियर भले ही लंबा न रहा हो, लेकिन 90 के दशक में वे नौतन की राजनीति में एक प्रभावशाली नाम थे।
  4. केदार पांडेय और कमला पांडेय:
    नौतन क्षेत्र कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का गढ़ भी रहा है। इसमें केदार पांडेय, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे, और उनकी पत्नी कमला पांडेय जैसे नाम उल्लेखनीय हैं। उन्होंने 1967, 1977 और 1985 जैसे वर्षों में इस क्षेत्र का नेतृत्व किया और कांग्रेस को मजबूत आधार प्रदान किया। यह वह दौर था जब कांग्रेस की पकड़ नौतन समेत पूरे चंपारण में काफी मज़बूत थी।

नौतन विधानसभा क्षेत्र की राजनीति हमेशा से जीवंत और प्रभावशाली रही है। यहाँ के नेताओं ने न केवल चुनावी जीत दर्ज की, बल्कि जनता के विश्वास और अपेक्षाओं को निभाने की कोशिश भी की है।

पिछले विधानसभा चुनावों के परिणाम
2020 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी नारायण प्रसाद ने एक बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार शेख मोहम्मद कामरान को लगभग 25,896 वोटों के अंतर से हराया। नारायण प्रसाद को कुल 78,657 वोट प्राप्त हुए, जो कुल मतदान का लगभग 47% था। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को 52,761 वोट मिले। इस चुनाव में भाजपा की पकड़ न केवल मजबूत रही बल्कि मतदाताओं का रुझान भी स्पष्ट रूप से पार्टी और उम्मीदवार के समर्थन में दिखा।

इसके पहले 2015 के चुनावों में भी नारायण प्रसाद ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। इस बार उनके मुकाबले में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के कद्दावर नेता बैद्यनाथ प्रसाद महतो थे, जिन्हें 52,362 वोट प्राप्त हुए जबकि नारायण प्रसाद को 66,697 वोट मिले। यह मुकाबला तुलनात्मक रूप से कड़ा रहा लेकिन अंततः नारायण प्रसाद लगभग 14,335 वोटों के अंतर से विजयी रहे। इस परिणाम ने उन्हें लगातार दूसरी बार जीत का स्वाद चखाया और क्षेत्र में उनकी स्थिति को और मजबूत किया।

2010 के विधानसभा चुनावों में यह सीट जनता दल यूनाइटेड के पास थी। उस समय मनोरमा प्रसाद जदयू की प्रत्याशी थीं जिन्होंने 40,894 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की। उन्होंने उस चुनाव में लोजपा के नारायण प्रसाद को हराया था जिन्हें मात्र 18,130 वोट मिले थे। यह वही नारायण प्रसाद हैं जिन्होंने बाद में भाजपा का दामन थामकर लगातार दो बार विधायक बने।

इन चुनावी परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि नौतन विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं का झुकाव समय के साथ बदलता रहा है। 2010 से 2020 तक का यह दशक क्षेत्रीय राजनीति में भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता और नारायण प्रसाद जैसे नेताओं की स्वीकार्यता का परिचायक है। यहां के मतदाता न केवल पार्टी विचारधारा को, बल्कि उम्मीदवार की सामाजिक छवि, जनता से जुड़ाव और कार्यशैली को भी ध्यान में रखते हैं।

पिछले चुनाव के जीत के कारण
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नौतन सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी नारायण प्रसाद ने कांग्रेस प्रत्याशी शेख मोहम्मद कामरान को बड़े अंतर से हराया। उनकी जीत के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे जो स्थानीय से लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति से जुड़े हुए थे।

  1. नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और भाजपा की संगठनात्मक ताकत:
    2020 का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के चरम पर हुआ था। इसका सीधा असर राज्य और विधानसभा स्तर पर भी देखा गया। भाजपा का मजबूत संगठन, बूथ लेवल तक की तैयारी और केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार नारायण प्रसाद की जीत का बड़ा कारण बना।
  2. नारायण प्रसाद की व्यक्तिगत छवि और क्षेत्रीय पकड़:
    नारायण प्रसाद पहले भी विधायक रह चुके थे और क्षेत्र में उनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है। उन्होंने स्थानीय लोगों से संवाद, विकास कार्यों में सक्रियता और सामाजिक संपर्क को प्राथमिकता दी, जिससे मतदाताओं में उनके प्रति विश्वास कायम रहा। उनका सहज व्यवहार, निरंतर जनसंपर्क और स्थानीय मुद्दों पर समझ ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाए रखा।
  3. जातीय समीकरण और सोशल इंजीनियरिंग:
    नौतन क्षेत्र में ब्राह्मण, यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और दलित समुदायों की प्रमुख उपस्थिति है। भाजपा ने यहां ब्राह्मण और अन्य सवर्ण वोट बैंक को एकजुट किया, जबकि कुछ पिछड़ा वर्ग के वोट भी नारायण प्रसाद के साथ आए। कांग्रेस और महागठबंधन यहां जातीय संतुलन बनाने में सफल नहीं हो पाए, जिससे भाजपा को लाभ मिला।
  4. विपक्ष की कमजोरी और रणनीतिक चूक:
    कांग्रेस प्रत्याशी शेख मोहम्मद कामरान स्थानीय मुद्दों और प्रभाव के मामले में नारायण प्रसाद की बराबरी नहीं कर सके। चुनाव प्रचार की गति, संगठनात्मक ढिलाई और बूथ लेवल पर कमजोर पकड़ ने विपक्ष को नुकसान पहुँचाया। इसके अलावा महागठबंधन के भीतर तालमेल की कमी और उम्मीदवार चयन को लेकर मतदाताओं में भ्रम की स्थिति भी बनी रही।
  5. स्थानीय विकास और योजनाओं का लाभ:
    प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत जैसी केंद्र की योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय थीं। इसके अलावा राज्य सरकार की कुछ योजनाओं का लाभ भी मतदाताओं ने महसूस किया, जिससे भाजपा के पक्ष में सकारात्मक माहौल बना।

नारायण प्रसाद की जीत केवल एक पार्टी या व्यक्ति की जीत नहीं थी, बल्कि यह रणनीतिक तैयारी, सामाजिक संतुलन, स्थानीय छवि और संगठनात्मक मजबूती का परिणाम थी। यही कारण है कि वे इस सीट पर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने में सफल रहे।

विधानसभा गठन के उपरांत, निर्वाचित विधायक एवं विजय दल की सूची
2010 Manorama Prasad JD(U)
2015 Narayan Prasad BJP
2020 Narayan Prasad BJP

जातिगत समीकरण

  1. ब्राह्मण समुदा:
    नौतन क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। यह वर्ग परंपरागत रूप से भाजपा का समर्थन करता रहा है। वर्तमान विधायक नारायण प्रसाद ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, जिस कारण उन्हें इस वर्ग का मजबूत समर्थन प्राप्त होता है। इस जातीय समर्थन ने उन्हें दो बार लगातार जीत दिलाने में मदद की।
  2. यादव समुदाय:
    यादव बिहार में सबसे बड़ा ओबीसी समुदाय है और नौतन में भी इनकी संख्या प्रभावशाली है। यह वर्ग मुख्यतः राजद का पारंपरिक वोट बैंक रहा है। हालांकि, हालिया चुनावों में इनमें से कुछ वर्ग भाजपा की तरफ भी आकर्षित हुआ है, खासकर जब विकास और स्थानीय संपर्क जैसे मुद्दे हावी होते हैं।
  3. मुस्लिम समुदाय:
    मुस्लिम मतदाता नौतन में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ये आमतौर पर कांग्रेस या राजद के साथ खड़े होते हैं। 2020 में कांग्रेस प्रत्याशी शेख मोहम्मद कामरान मुस्लिम समुदाय से थे, लेकिन उन्हें अन्य जातियों का उतना समर्थन नहीं मिल सका, जिससे वह चुनाव हार गए।
  4. कुशवाहा, कोइरी और अन्य OBC जातियाँ:
    इन जातियों की भी मजबूत उपस्थिति है। इनका समर्थन उम्मीदवार की छवि, स्थानीय मुद्दों और पार्टी की रणनीति पर निर्भर करता है। जेडीयू, भाजपा और राजद — तीनों ही दल इन वोटों को साधने की कोशिश करते हैं।
  5. दलित और महादलित समुदाय:
    इस वर्ग में पासवान, रविदास, मुसहर जैसी जातियाँ शामिल हैं। ये कभी लोजपा के साथ रहे हैं, कभी राजद के और कई बार भाजपा को भी समर्थन करते हैं। इनका वोट उस उम्मीदवार की तरफ जाता है जो उन्हें सामाजिक सुरक्षा और स्थानीय मदद का भरोसा देता है।

नौतन विधानसभा में जातिगत समीकरण किसी भी चुनावी परिणाम को तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। जो उम्मीदवार ब्राह्मण, ओबीसी और दलित समुदायों का संतुलन साधने में सफल होता है, उसकी जीत की संभावना सबसे अधिक रहती है। इसलिए यहां हर चुनाव एक जटिल सामाजिक गणित पर आधारित होता है, जिसमें पार्टी से अधिक उम्मीदवार का सामाजिक जुड़ाव और जातीय रणनीति मायने रखती है।

नौतन की वर्तमान स्थिति
नौतन विधानसभा क्षेत्र की वर्तमान राजनीतिक स्थिति भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में स्पष्ट रूप से मजबूत बनी हुई है। वर्तमान विधायक नारायण प्रसाद लगातार दो बार (2015 और 2020) जीत दर्ज कर चुके हैं और क्षेत्र में उनका जनसंपर्क, जातिगत समर्थन और संगठनात्मक पकड़ अभी भी प्रभावशाली है। भाजपा का स्थानीय संगठन सक्रिय है, और सांसद व विधायक की उपस्थिति विभिन्न विकास कार्यों में लगातार बनी हुई है, जिससे जनता में एक भरोसा बना है।

हालाँकि, कुछ स्थानीय मुद्दों जैसे अपराध नियंत्रण, पुलिस अधोसंरचना की कमी और युवा बेरोजगारी को लेकर आंतरिक असंतोष भी है, पर ये असंतोष अब तक व्यापक रूप में नहीं उभरे है।

अगर वर्तमान राजनीतिक हवा को देखा जाए तो भाजपा के फिर से जीतने की संभावना मजबूत है, विशेषकर यदि नारायण प्रसाद को ही टिकट मिलता है और विपक्ष कोई मजबूत चेहरा नहीं उतार पाता।

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