Previous CJI DY chandrachud अब तक सरकारी बंगले में क्यों टिके हुए हैं? जानिए पूरी कहानी

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By Akanksha Singh Baghel

Previous CJI DY chandrachud, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ हाल ही में एक ऐसी खबर की वजह से चर्चा में हैं, जिसने न केवल न्यायिक गलियारों में हलचल मचा दी, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या देश की सर्वोच्च संस्था से सेवानिवृत्त हुए व्यक्ति को नियमों में कोई छूट दी जानी चाहिए?

मामला बेहद संवेदनशील है और इसमें संवैधानिक जिम्मेदारी, प्रशासनिक व्यवस्था और एक पिता की मानवीय मजबूरियां—तीनों का टकराव साफ तौर पर नजर आता है।

क्यों नहीं कर रहे थे आवासी खाली?

Previous CJI DY chandrachud जिनका कार्यकाल नवंबर 2024 में समाप्त हो गया था, अभी तक उसी सरकारी बंगले में रह रहे हैं जो सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश के लिए आरक्षित होता है। यह बंगला राजधानी दिल्ली के कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित है, जो कि लुटियंस ज़ोन के सबसे सुरक्षित और विशिष्ट बंगलों में गिना जाता है।

आम नियमों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को उनके रिटायरमेंट के बाद अधिकतम छह महीने तक ही सरकारी आवास में रहने की अनुमति होती है। यह अवधि पूरी हो जाने के बाद संबंधित व्यक्ति को नया आवास या निजी व्यवस्था करनी होती है।

लेकिन चंद्रचूड़ ने ऐसा नहीं किया। रिटायरमेंट के लगभग आठ महीने बाद भी जब वे उसी बंगले में रह रहे थे, तब यह सवाल उठना लाज़िमी था कि आखिर वे बंगला खाली क्यों नहीं कर रहे हैं? क्या यह नियमों की अनदेखी है? या इसके पीछे कोई वैध कारण है?

इस पर जब खुद पूर्व CJI ने स्थिति स्पष्ट की, तो पूरी तस्वीर बदल गई। उन्होंने बताया कि वे बंगले में इसलिए रुके हुए हैं क्योंकि उनकी गोद ली हुई दो बेटियाँ—प्रियंका और माही—एक गंभीर और दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी से पीड़ित हैं, जिसका नाम है “नेमालाइन मायोपैथी”। यह बीमारी मांसपेशियों को कमजोर करती है और व्यक्ति को चलने, सांस लेने, बोलने और निगलने जैसी बुनियादी क्रियाओं में भी कठिनाई होती है।

इन दोनों बेटियों की चिकित्सा देखभाल के लिए एक विशेष सुविधा वाले घर की आवश्यकता है, जिसमें ICU जैसी घरेलू चिकित्सा व्यवस्था, विशेष वेंटिलेशन सिस्टम, और चौबीसों घंटे नर्सिंग सपोर्ट होना अनिवार्य है। चंद्रचूड़ के अनुसार, जब तक उनके लिए वैकल्पिक आवास को इस अनुकूल व्यवस्था में बदला नहीं जाता, तब तक वर्तमान बंगले में रहना मजबूरी है।

उन्होंने यह भी कहा कि वे कानून का सम्मान करते हैं और जैसे ही नया आवास तैयार होगा, वे वर्तमान बंगला तुरंत खाली कर देंगे। उनके अनुसार, नया बंगला अभी निर्माण और मरम्मत की प्रक्रिया में है और जैसे ही वह बेटियों की जरूरतों के अनुसार पूरी तरह से फिट होगा, वे बिना देरी वहाँ शिफ्ट हो जाएंगे।

कौन हैंI चंद्रचूPrevious CJI DY chandrachud?

Previous CJI DY chandrachud, भारतीय न्यायपालिका के उन गिने-चुने नामों में से हैं, जिन्होंने न केवल संवैधानिक मामलों में ऐतिहासिक निर्णय दिए, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा, पारदर्शिता और डिजिटल परिवर्तन को भी नई दिशा दी।

वे भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश रहे और न्यायमूर्ति वाई. वी. चंद्रचूड़ के पुत्र हैं, जो स्वयं भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा में रहने वाले मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। इस प्रकार, चंद्रचूड़ पिता-पुत्र की जोड़ी भारत के न्यायिक इतिहास में एक अनोखा उदाहरण है।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की न्यायिक दृष्टि को उदार और मानवीय कहा जाता है। उन्होंने धारा 377 (समलैंगिकता), निजता का अधिकार, अयोध्या विवाद, आधार की वैधानिकता, और महिलाओं के अधिकार जैसे मामलों में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्हें ‘लिबरल जज’ की उपाधि भी दी गई, क्योंकि उन्होंने कई बार सामाजिक न्याय को संवैधानिक विवेक पर तरजीह दी।

उनकी न्यायिक शैली व्यावहारिक और मानवीय पहलुओं पर केंद्रित रही। यही कारण है कि वर्तमान विवाद में भी उन्होंने संवेदनशीलता के साथ अपनी बात रखी और पारदर्शिता दिखाते हुए बताया कि वे नियमों की अवहेलना नहीं कर रहे, बल्कि एक असाधारण परिस्थिति का सामना कर रहे हैं।

Previous CJI DY chandrachud कब पूरा हुआ था कार्यकाल?

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। उनका कार्यकाल दो वर्ष का था, जो 10 नवंबर 2024 को समाप्त हुआ। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें छह महीने की अवधि तक सरकारी आवास में रहने की अनुमति मिली थी, जो मई 2025 में समाप्त हो गई।

इसके बाद कुछ और समय के लिए उन्हें रुकने की मौखिक अनुमति मिली, लेकिन जुलाई 2025 में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि चूंकि यह आवास वर्तमान CJI के लिए आरक्षित है, अतः इसे खाली कराया जाए।

इस पत्र के बाद मीडिया में इस बात को लेकर भ्रम फैला कि चंद्रचूड़ नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, लेकिन उनकी सफाई ने सारे कयासों को विराम दिया।

उन्होंने खुद स्पष्ट किया कि वे अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं और जैसे ही नया घर बेटियों की विशेष जरूरतों के लिए तैयार हो जाएगा, वे बिना किसी विलंब के स्थानांतरित हो जाएंगे।

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ का मामला यह दर्शाता है कि नियमों की व्याख्या करते समय मानवीय संवेदनाओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह विवाद सिर्फ एक बंगला खाली करने का नहीं है, बल्कि एक पिता की चिंता, एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे बच्चों की सुरक्षा, और प्रशासनिक तंत्र की संवेदनशीलता का भी परीक्षण है।

यह प्रसंग बताता है कि कानून के पीछे भी एक मनुष्य होता है, और जब कानून और मानवता के बीच संतुलन बनाना हो, तो विवेक की कसौटी पर निर्णय लिया जाना चाहिए।

पूर्व CJI ने अपनी पारदर्शिता और स्पष्टता से यह सिद्ध किया कि वे न केवल एक न्यायाधीश के रूप में, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक और संवेदनशील पिता के रूप में भी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं।

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