माँ महागौरी कौन हैं?
Navratri 8th Day माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना को समर्पित है। माँ महागौरी का स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और करुणामयी माना जाता है। वे श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित हैं और उनका वाहन वृषभ (बैल) है। इनके हाथों में त्रिशूल और डमरू रहता है।
माँ महागौरी की कथा
कथा के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की। वर्षों की तपस्या से उनका शरीर कठोर और काला पड़ गया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा जल से उन्हें स्नान कराया, जिससे उनका रूप अत्यंत गौर और उज्ज्वल हो गया। तभी से वे महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
इस बार विशेष: दो दिन की अष्टमी
वर्ष 2025 में अष्टमी तिथि दो दिन तक रहेगी। इसका विशेष महत्व है क्योंकि भक्तों को माँ की पूजा और कन्या पूजन के लिए अधिक समय मिलेगा। मान्यता है कि जब अष्टमी दो दिन होती है, तो भक्त किसी भी दिन कन्या पूजन कर सकते हैं और उन्हें समान रूप से पुण्यफल प्राप्त होता है।
पूजा विधि
प्रातः स्नान करके माँ महागौरी का गंगाजल से अभिषेक करें।
माँ को श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प, नारियल और सुहाग सामग्री अर्पित करें।
विशेष भोग में हलवा-पूरी, काले चने और नारियल का प्रसाद चढ़ाएं।
कन्या पूजन करके उन्हें भोजन कराना और दक्षिणा देना अति शुभ माना गया है।
माँ महागौरी का मंत्र
अष्टमी पर इस मंत्र का जाप करने से भक्तों के जीवन से समस्त बाधाएँ दूर होती हैं –
ॐ देवी महागौर्यै नमः।
इसके अतिरिक्त सप्तशती पाठ और दुर्गा चालीसा का पाठ भी विशेष फलदायी है।
अष्टमी का महत्व
इस दिन शक्ति साधना का विशेष महत्व है।
कन्या पूजन और बलि प्रथा (कुछ स्थानों पर) की परंपरा भी अष्टमी को ही होती है।
माना जाता है कि माँ महागौरी की कृपा से भक्तों का जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है।
Navratri 8th Day दो दिन की अष्टमी होने से इस बार भक्तों को दोगुना पुण्यफल प्राप्त होगा।
अष्टमी का शुभ रंग
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा में गुलाबी (Pink) रंग का विशेष महत्व होता है। यह रंग प्रेम, करुणा, और दैवीय ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। भक्त इस दिन गुलाबी या सफेद वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें तो शुभ फल मिलता है।
अष्टमी का विशेष भोग
अष्टमी के दिन माँ महागौरी को निम्न भोग अर्पित करना शुभ माना गया है –
सफेद नारियल
हलवा-पूरी
काले चने
पान और सुपारी
नारियल पानी या दूध से बने पकवान
विशेषकर, कन्या पूजन में इन्हीं व्यंजनों का प्रसाद बांटना अति मंगलकारी माना गया है।