विवाद की जड़: टिकट किसे मिले और क्यों?
RJD में टिकट बंटवारा विवाद , यह विवाद तब उभरा जब चुनावी टिकट वितरण के दौरान लालू परिवार के भीतर मतभेद खुलकर सामने आए।
- कुछ भाई-बहन टिकट न मिलने से नाराज़ हुए,
- कुछ ने अपने क्षेत्र बदलने का विरोध किया,
- और कुछ ने सीधे तौर पर तेजस्वी यादव पर “एकतरफा निर्णय” लेने का आरोप लगाया।
कई बार यह असंतोष सोशल मीडिया पोस्ट, संकेतों या मीडिया में दिए बयान के रूप में सामने आया, जिसने विवाद को और हवा दी।
परिवारवाद पर विपक्ष के आरोप, शिकायत पार्टी के भीतर भी
RJD पर वर्षों से “परिवारवाद की पार्टी” होने का आरोप लगता रहा है।
यह विवाद तब और गहरा हुआ जब विरोधियों के साथ-साथ पार्टी के भीतर भी कई नेताओं ने कह दिया कि:
- टिकट “मेरिट” पर नहीं,
- बल्कि “परिवार की पसंद” पर मिलता है।
कुछ पुराने RJD नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कहा कि
“संगठन की आवाज़ दबती जा रही है, फैसले सिर्फ परिवार की मीटिंग से निकलते हैं।”
ये आरोप RJD की लोकतांत्रिक छवि को बड़ा झटका देते रहे हैं।
तेजस्वी बनाम परिवार: नेतृत्व को लेकर असहमति
तेजस्वी यादव पार्टी के निर्विवाद नेता के रूप में उभरे,
लेकिन टिकट वितरण के दौरान तेजप्रताप, मीसा भारती और अन्य बहनों की अलग-अलग राय दिखी।
- कुछ सीटों पर तेजप्रताप ने अपनी पसंद के उम्मीदवार की मांग की।
- कुछ पर मीसा ने दावा जताया।
कुछ मामलों में रोहिणी ने भी विरोध जताया कि परिवार के बाहर मेहनत करने वाले नेता उपेक्षित रहते हैं।
इन सबने संकेत दिया कि परिवार के भीतर एक ही निर्णय केंद्र पर सहमति नहीं है।
बिहार की राजनीति में इसका असर
टिकट वितरण का यह विवाद केवल परिवार के भीतर का मामला नहीं रहा—
इसका सीधा प्रभाव रहा:
- RJD के पुराने नेताओं का पार्टी से दूर होना,
- उम्मीदवारों के चयन में टूट-फूट,
- चुनावी रणनीति में भ्रम,
- और संगठनात्मक संरचना की कमजोरी।
विपक्ष (BJP–JDU) ने इस विवाद को बड़े हथियार की तरह इस्तेमाल किया,
यह कहते हुए कि RJD में “एक परिवार ही सबकुछ है, पार्टी कुछ नहीं।”
लालू यादव की भूमिका: संतुलन बनाने की कोशिश
आंतरिक विवाद बढ़ने पर हर बार लालू यादव को ही स्थिति संभालनी पड़ी।
लेकिन खराब सेहत और उम्र के कारण वे हर विवाद को पहले की तरह हल नहीं कर पा रहे—
और यह RJD के अंदर नेतृत्व के संक्रमणकाल को और जटिल बना रहा है।
आगे की चुनौती: क्या RJD पार कर पाएगी परिवारवाद की छवि?
RJD में टिकट बंटवारा विवाद के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि
- क्या RJD टिकट वितरण में पारदर्शिता ला पाएगी?
- क्या परिवार एकजुट होकर चुनावों में खड़ा हो पाएगा?
- या विवाद आगे भी पार्टी की नींव को कमजोर करता रहेगा?
चुनावी राजनीति में टिकट वितरण सबसे संवेदनशील प्रक्रिया होती है—
और लालू परिवार के लिए इसी ने सबसे बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।