क्या एंटी इनकंबेंसी के बीच जीत की राह निकाल पाएंगे अनिल विज.?

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By Santulan News

हरियाणा चुनावी चक्रव्यूह में आज बारी है। अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र की हरियाणा राज्य की अंबाला विधानसभा सीट एक हॉट सीट है। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की मज़बूत पकड़ है। भारतीय जनता पार्टी की बड़ी नेता सुषमा स्वराज भी इस सीट से दो बार विधायक चुनी गई है। यूं तो देश की अधिकतर कैंट विधानसभा में बीजेपी की स्थिति प्रबल और मज़बूत नजर आती है। लेकिन इस बार भाजपा प्रत्याशी को इस सीट पर अधिक मेहनत करनी पड़ रही है। भाजपा की और से पूर्व गृहमंत्री पार्टी के फायर ब्रांड नेता और इसी सीट से 6 बार के विधायक अनिल विज यहां से मैदान में हैं। वही कॉन्ग्रेस की और से कुमारी शैलजा के सिपेसलाहार परविंदर परी को प्रत्याशी बनाया गया है।आम आदमी पार्टी ने राजकौर गिल, इनलो बसपा से ओमकार सिंह, जजपा आसपा से अवतार करधान। इसके अलावा टिकट ना मिलने के कारण कॉन्ग्रेस से बगावत कर पूर्व मंत्री निर्मल सिंह मोड़ा की बेटी चित्रा सरवारा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में पुन: मैदान मे है। 2019 में भी कॉन्ग्रेस पार्टी से टिकट न मिलने के बाद उन्होने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप मे अंबाला कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रही। इस विधानसभा क्षेत्र मे पंजाबी और जाट-सिख के निर्णायक 80 हजार मतदाता मौजुद है। यहां से लम्बी पारी खेलने वाले अनिल विज को इस बार के चुनाव मे एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। यूं तो अनिल विज अपने किए गए विकास कार्यों के नाम पर वोट मांग रहे है। लेकिन टूटी सड़कें, जल भराव की समस्या और विपक्षियों द्वारा भ्रटाचार के मुद्दो पर उन्हें घेरा जा रहा है। इन सबके बीच अनिल विज को भी शायद इन सब बातों का अंदाजा रहा होगा। तभी उन्होने अपने आप को मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित कर दिया। वहीं दूसरी और किसान आंदोलन के दौरान गृहमंत्री के रुप में अनिल विज द्वारा दिखाई गई सख़्ती जिसमें लाठी चार्ज, वाटर कैनन के प्रयोग भी इनके लिए इस चुनाव मे परेशानी का सबब बन रहे है। इस बीच भाजपा को उम्मीद है की कॉन्ग्रेस में गुट बाजी से उन्हें लाभ होगा। वहीं 2005 के बाद जीत की बाट जोह रही कॉन्ग्रेस भी जीत के प्रति आश्वस्त है। लेकिन चुनाव परिणाम तो भविष्य के गर्भ में है।

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