प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक सफर
Arun Jaitley Death Anniversary,अरुण जेटली का राजनीतिक सफर 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से शुरू हुआ। 1974 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) के अध्यक्ष चुने गए और आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में रहे। इस दौर में उनकी संगठनात्मक और नेतृत्व क्षमता सामने आई।
1977 में जनता पार्टी के गठन के समय वे उसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने। 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन के बाद जेटली ने पार्टी का दामन थामा और अपने सियासी सफर को नई ऊँचाई दी।
भाजपा में योगदान और मंत्री पद
1991 में वे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुए। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उन्हें सूचना एवं प्रसारण और विनिवेश मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों का भी कार्यभार सौंपा गया।
संसद में प्रभावशाली उपस्थिति
2004 से 2014 तक वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। इस दौरान उनकी पहचान और मजबूत हुई। उनकी तार्किकता, वक्तृत्व कला और तथ्यपरक तर्कों ने उन्हें संसद में एक सशक्त आवाज़ बनाया। वे केवल प्रशासक ही नहीं, बल्कि संकट की घड़ी में पार्टी और सरकार के लिए भरोसेमंद संकटमोचक साबित हुए।
उनके लेख और ब्लॉग भी जटिल विषयों को सरल बनाने में मददगार साबित हुए, जिससे वे जनता और मीडिया में भी खासे लोकप्रिय रहे।
वित्त मंत्री के रूप में ऐतिहासिक फैसले
2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में वित्त मंत्री बनने के बाद अरुण जेटली ने कई बड़े सुधार लागू किए। वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने में उनकी भूमिका बेहद अहम रही। इसके अलावा नोटबंदी जैसे साहसिक फैसलों में भी उनकी रणनीतिक सोच साफ झलकती थी।
कड़े फैसलों और आलोचनाओं के बावजूद जेटली ने हमेशा धैर्य और तथ्यों के साथ जवाब दिया।
व्यक्तित्व और विरासत
Arun Jaitley Death Anniversary,अरुण जेटली एक ऐसे नेता थे, जो विचारधारा और व्यावहारिकता का संतुलन बनाए रखते थे। उनकी विनम्रता, गहन समझ और हास्यबोध ने उन्हें विरोधियों का भी सम्मान दिलाया।
वे केवल राजनेता ही नहीं, बल्कि दूरदर्शी रणनीतिकार और कुशल प्रशासक भी थे। भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में उनके योगदान ने उन्हें एक सशक्त और सम्मानित व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया।