Second Phase Election के प्रचार के आखिरी दिन गरमाई राजनीति
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के Second Phase Election अब अपने निर्णायक मोड़ पर है। रविवार शाम चुनाव प्रचार समाप्त होने से पहले राज्य की सियासत उस वक्त गरमाई, जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने किशनगंज में एक चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में बेरोज़गारी, शिक्षा व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द के मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि देश और बिहार में नौजवानों को रोजगार नहीं मिल रहा है, जबकि विश्वविद्यालय और कॉलेज लगातार बंद या निजी हाथों में जा रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार के युवाओं को रोज़गार के लिए राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों और विदेशों में जाना पड़ रहा है।
राहुल गांधी का केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना
Bihar Election राहुल गांधी ने अपने संबोधन में यह संदेश देने की कोशिश की कि उनकी राजनीति “मोहब्बत और भाईचारे” की है, जबकि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को धर्म और नफरत की राजनीति में बाँट रहे हैं। उनका कहना था कि कांग्रेस की लड़ाई देश को जोड़ने की है, जबकि बीजेपी समाज को विभाजित करने की कोशिश कर रही है।
किशनगंज की रैली के जरिए राहुल ने न सिर्फ बीजेपी पर निशाना साधा बल्कि नीतीश कुमार की सरकार को भी रोजगार और शिक्षा के मोर्चे पर विफल बताया। उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन सत्ता में आता है, तो हर घर तक रोजगार पहुँचाने की कोशिश की जाएगी।
शाहनवाज हुसैन का पलटवार
राहुल गांधी के इन बयानों पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को “जुबान संभालकर” बोलना चाहिए। शाहनवाज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रगों में भारत की मिट्टी का खून बहता है, और वे सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के रास्ते पर चलते हैं।
Second Phase Election बीजेपी नेता का कहना था कि राहुल गांधी के इस तरह के बयान से यह साबित होता है कि कांग्रेस चुनावी हताशा में व्यक्तिगत हमलों का सहारा ले रही है। उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन की “दुकान अब बंद होने की कगार पर है”, क्योंकि बिहार की जनता एनडीए के कामकाज और नीतियों पर भरोसा कर रही है।
एनडीए बनाम महागठबंधन: चुनावी समीकरण
बिहार की राजनीति एक बार फिर से एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर का मैदान बनी हुई है।
एनडीए में इस बार बीजेपी, जेडीयू और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा जैसे सहयोगी दल हैं।
वहीं, महागठबंधन की कमान आरजेडी के तेजस्वी यादव के हाथ में है, जिसमें कांग्रेस और वाम दल भी शामिल हैं।
पहले चरण के मतदान में दोनों गठबंधनों ने एक-दूसरे पर बढ़त का दावा किया है। लेकिन प्रचार अभियान के दौरान नेताओं के बीच जुबानी जंग ने माहौल को और अधिक तीखा बना दिया है। राहुल गांधी की रैली के बाद शाहनवाज हुसैन की प्रतिक्रिया ने इस बहस को नया मोड़ दे दिया है।
ऐतिहासिक संदर्भ: बिहार की सियासत और बयानबाज़ी
बिहार का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहाँ चुनाव सिर्फ विकास और रोजगार के मुद्दों पर नहीं, बल्कि भावनात्मक और वैचारिक अपील पर भी लड़े जाते हैं।
2015 में महागठबंधन ने जातीय समीकरणों के दम पर बड़ी जीत दर्ज की थी।
2020 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर सत्ता बरकरार रखी।
अब 2025 का चुनाव दोनों पक्षों के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन गया है — एनडीए सत्ता में वापसी चाहता है और महागठबंधन नई उम्मीदों के साथ जनता के सामने है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार चुनाव में नेताओं की भाषा और बयानबाज़ी भी एक अहम फैक्टर बन रही है। राहुल गांधी और शाहनवाज हुसैन के बीच ताज़ा विवाद इस बात का संकेत है कि बिहार में चुनावी जंग सिर्फ नीतियों की नहीं, बल्कि शब्दों की भी है।
चुनाव प्रचार में भाषा की भूमिका और असर
चुनाव अभियान के दौरान नेताओं के भाषण अक्सर मतदाताओं की भावनाओं को प्रभावित करते हैं। बिहार जैसे संवेदनशील और राजनीतिक रूप से जागरूक राज्य में शब्दों का चयन काफी मायने रखता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आज की राजनीति में सोशल मीडिया और टीवी बहसों के ज़रिए बयान कुछ ही घंटों में लाखों लोगों तक पहुँच जाते हैं। ऐसे में किसी भी नेता के शब्द न केवल जनता की धारणा को बदल सकते हैं, बल्कि चुनावी रणनीति को भी प्रभावित करते हैं।
Bihar Election, राहुल गांधी और शाहनवाज हुसैन के बीच हालिया विवाद इसी प्रवृत्ति को दर्शाता है — जहाँ हर बयान सिर्फ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक चुनावी हथियार बन गया है।
बिहार में इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता विकास के मुद्दों पर वोट देंगे या भाषणों के असर से प्रभावित होंगे।