Bihar Elections ,कभी नक्सलवाद और माओवाद का गढ़ रहा जमुई जिला आज शांति और विकास की मिसाल बन चुका है। 2005 के विधानसभा चुनावों में यहां पुलिस अधीक्षक की हत्या कर दी गई थी। तब हालात इतने भयावह थे कि किसी को भी इस इलाके में कदम रखने से पहले सोलह हाथ का कलेजा चाहिए होता था।
लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। 2022–23 के आखिरी एनकाउंटर के बाद यह इलाका लगभग नक्सल प्रभाव से मुक्त हो गया। आज जमुई की सड़कों पर गोलियों की जगह सुकून के फूल बिखरे हैं।
नक्सलवाद के दौर की दहशत
एक समय था जब जमुई, लखीसराय और बांका के जंगलों में नक्सली संगठनों का बोलबाला था। आम लोगों में खौफ था और पुलिस बल तक अंदर नहीं जा पाते थे। चुनावों के समय हिंसा, अपहरण और धमकियों का दौर चलता था।
अब हालात बदल गए हैं। खुफिया विभाग को कभी जिन पहाड़ियों में नक्सलियों के छिपे होने की आशंका रहती थी, वे अब शांत हैं। सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई और जनता के सहयोग से यह क्षेत्र धीरे-धीरे सामान्य जीवन में लौट आया।
बदलाव की बयार और नई उम्मीद
चोरमारा जैसे गांव, जो पहले नक्सली गतिविधियों का केंद्र माने जाते थे, अब लोकतंत्र की आवाज से गूंज रहे हैं। पहले ग्रामीणों को वोट डालने के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। अब वही गांव मतदान केंद्र बन गया है।
स्थानीय निवासी सिताराम कोरा बताते हैं — “पहले पूरा इलाका नक्सलियों के कब्जे में था। अब लोग वापस आ रहे हैं और तीस साल बाद वोटिंग हो रही है।”
एक महिला मतदाता ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब नक्सली नहीं आते। सरकार ने उनका सफाया कर दिया है। अब हमें सड़क और बिजली की उम्मीद है।”
सरकारी योजनाओं से बदली तस्वीर
शांति लौटने के साथ ही विकास योजनाओं की रफ्तार तेज हुई है।
सिंचाई, सड़क, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में कई नई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।
बार्नर जलाशय परियोजना (₹2090 करोड़) — यह बिहार का सबसे बड़ा कंक्रीट बांध बन रहा है, जिससे हजारों किसानों को पानी मिलेगा।
गढ़ी बांध इको-टूरिज्म प्रोजेक्ट — स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के नए अवसर खोल रहा है।
महिला डिग्री कॉलेज और विशेष पुलिस थाना — महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं।
नई सड़कें और पुल — पहाड़ी इलाकों में अब बेहतर कनेक्टिविटी दे रहे हैं।
इन योजनाओं से गांवों में रोजगार, शिक्षा और व्यापार को नई दिशा मिली है।
आर्थिक प्रगति के संकेत
Bihar Elections , सरकार की रिपोर्टों के अनुसार, जमुई अब “उभरते जिलों” में शामिल है। उद्योग और बिजली की सुविधाएं बढ़ी हैं, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है।
इसके अलावा, गृह मंत्रालय के आँकड़े बताते हैं कि बिहार के 60 से अधिक ज़िले अब नक्सल-मुक्त हैं। इनमें जमुई, बांका और औरंगाबाद जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं।
यह बदलाव केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं रहा। अब गांवों में रात के समय बिजली की रोशनी दिखती है, और बच्चे स्कूल जा रहे हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की दिशा
नए कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र और पुलिस चौकियाँ खुलने से जनता का भरोसा बढ़ा है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और मनरेगा जैसी योजनाओं ने भी रोजगार और बुनियादी ढांचे में सुधार किया है।
Bihar Elections ,अब जरूरत है कि इस विकास को निरंतर बनाए रखा जाए। शिक्षा, कृषि और स्थानीय उद्योगों में निवेश से युवा वर्ग को स्थायी अवसर मिलेंगे। इससे न केवल आर्थिक मजबूती बढ़ेगी, बल्कि सामाजिक स्थिरता भी कायम रहेगी।