Bihar, जिला – लौरिया
लौरिया बिहार के पश्चिम चंपारण जिले का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध अनुमंडल है। यह स्थान सम्राट अशोक के प्राचीन स्तंभ और नंदनगढ़ के बौद्ध स्तूपों के लिए प्रसिद्ध है। बेतिया से लगभग 28 किमी दूर स्थित यह क्षेत्र मुख्यतः कृषि पर आधारित है और यहाँ की मिट्टी धान, गेहूं, मक्का और प्रसिद्ध मार्चा चावल जैसी फसलों के लिए उपजाऊ मानी जाती है। भोजपुरी और हिंदी यहाँ की प्रमुख भाषाएँ हैं।
जिले की विशेषता
(सांस्कृतिक धरोहर, जिले का उपनाम, विशेषताएं)
सांस्कृतिक धरोहर लौरिया Bihar की सांस्कृतिक पहचान सम्राट अशोक के स्तंभ और नंदनगढ़ के बौद्ध स्तूपों से जुड़ी है। अशोक स्तंभ ब्राह्मी लिपि में खुदे धार्मिक संदेशों का ऐतिहासिक प्रमाण है। धार्मिक दृष्टिकोण से यहाँ प्राचीन शिव मंदिर, मस्जिदें, दरगाहें और बौद्ध स्थलों का सह-अस्तित्व धार्मिक सौहार्द को दर्शाता है। लोकगीत जैसे सोहर, कजरी, बिरहा, फगुआ और लोकनृत्य जैसे झूमर यहाँ की जीवनशैली का हिस्सा हैं। छठ, होली, ईद, दुर्गा पूजा, महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों को पूरे सामूहिक उत्साह से मनाया जाता है।
जिले का उपनाम लौरिया कोई स्वतंत्र जिला नहीं बल्कि पश्चिम चंपारण का अनुमंडल है, अतः इसका कोई आधिकारिक उपनाम नहीं है।
विशेषताएं
ऐतिहासिक विरासत: अशोक स्तंभ और बौद्ध स्तूप इसे ऐतिहासिक रूप से समृद्ध बनाते हैं।
बौद्ध प्रभाव: यह क्षेत्र बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थल माना जाता है।
कृषि प्रधान क्षेत्र: उपजाऊ मिट्टी और परंपरागत खेती यहाँ की पहचान है।
धार्मिक समन्वय: हिन्दू, मुस्लिम और बौद्ध समुदायों का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व है।
शिक्षा व जागरूकता: कई विद्यालय, कॉलेज और कोचिंग संस्थान यहाँ सक्रिय हैं।
राजनीतिक सक्रियता: विधानसभा क्षेत्र होने के कारण राजनैतिक गतिविधियाँ यहाँ निरंतर चलती रहती हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य: तालाब, खेत, बाग-बगिचे और ग्रामीण मेलों से सजीव क्षेत्रीय संस्कृति।
विधानसभा – लौरिया
लौरिया विधानसभा क्षेत्र Bihar की 243 सीटों में से एक है (क्रमांक 5)। यह वल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पहले यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसे सामान्य वर्ग के लिए खोल दिया गया। इस क्षेत्र में योगपट्टी और लौरिया ब्लॉक के अनेक गाँव शामिल हैं।
विधानसभा के कद्दावर नेता
विनय बिहारी (BJP): लोकप्रिय जनप्रतिनिधि, 2010 से लगातार तीन बार विधायक। 2017 में अर्धनग्न धरना कर सुर्खियों में रहे।
रन कौशल प्रताप सिंह (RJD): मजबूत विपक्षी चेहरा, 2015 व 2020 में चुनाव लड़े पर पराजित हुए।
संभू तिवारी (RJD): शिक्षा, स्वास्थ्य पर कार्यरत सामाजिक नेता। 2020 में प्रत्याशी रहे।
प्रदीप सिंह (JDU/पूर्व विधायक): 2005 तक लौरिया का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, अब सक्रिय राजनीति से दूर।
पिछले विधानसभा चुनावों का परिणाम
2010: विनय बिहारी (निर्दलीय) – 38,381 वोट, विजयी प्रदीप सिंह (JDU) – 27,500 वोट शंभू तिवारी (RJD) – तीसरे स्थान पर
2015: विनय बिहारी (BJP) – 57,351 वोट, विजयी रन कौशल प्रताप सिंह (RJD) – 39,778 वोट शंभू तिवारी (निर्दलीय) – तीसरे स्थान पर
2020: विनय बिहारी (BJP) – 77,927 वोट, विजयी शंभू तिवारी (RJD) – 48,923 वोट जीत का अंतर – 29,004 वोट
पिछले चुनाव के जीत के कारण
जनसंपर्क और लोकप्रियता: विनय बिहारी का लगातार जनता से जुड़ाव और जनभावनाओं को समझना।
विकास कार्य: सड़कों की मरम्मत, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास।
अर्धनग्न विरोध: जनता की समस्याओं पर खुलकर विरोध, जिससे जनसंपर्क गहरा हुआ।
भाजपा की सांगठनिक ताकत: केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ और मोदी फैक्टर का असर।
विपक्ष की कमजोरी: नेतृत्व में स्पष्टता का अभाव और विपक्षी मतों का बिखराव।
विधानसभा गठन के उपरांत, निर्वाचित विधायक एवं विजयी दल की सूची
वर्ष विधायक दल
2010 विनय बिहारी निर्दलीय
2015 विनय बिहारी भाजपा (BJP)
2020 विनय बिहारी भाजपा (BJP)
जातिगत समीकरण
राजपूत (भाजपा आधार): निर्णायक भूमिका निभाते हैं। विनय बिहारी इसी जाति से हैं।
यादव (RJD आधार): मजबूत संख्या, पर भाजपा की ओर आंशिक झुकाव देखा गया।
ब्राह्मण/भूमिहार (भाजपा झुकाव): चुनाव में निर्णायक भूमिका।
दलित/महादलित (झुकाव बदलता रहता है): नेता की छवि के आधार पर मतदान करते हैं।
मुस्लिम (RJD समर्थन): मजबूत उपस्थिति, लेकिन बिखरा विपक्ष होने पर प्रभाव घटता है।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में लौरिया Bihar विधानसभा से भाजपा के विनय बिहारी विधायक हैं। उन्होंने 2020 में RJD के शंभू तिवारी को हराकर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। क्षेत्र में भाजपा का संगठनात्मक आधार मजबूत है, साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता दिख रहा है। हालांकि जातिगत ध्रुवीकरण और स्थानीय मुद्दों पर विपक्ष का रुख इसे आने वाले चुनावों में एक प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र बनाए हुए है। मतदाताओं में राजनीतिक जागरूकता है और सभी वर्गों की भागीदारी लोकतंत्र को मजबूत करती है।