Cheteshwar Pujara: भारतीय टेस्ट क्रिकेट की दीवार माने जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। लगभग डेढ़ दशक तक भारतीय टीम के लिए भरोसे का स्तंभ बने रहने वाले पुजारा ने अपने संन्यास संदेश में भावुक शब्दों के साथ क्रिकेट जगत को अलविदा कहा। उनकी यह घोषणा न सिर्फ भारतीय क्रिकेट बल्कि पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों के लिए भावुक कर देने वाली रही।
भारत की टेस्ट टीम की ‘रीढ़’ रहे Cheteshwar Pujara
चेतेश्वर पुजारा का नाम आते ही सबसे पहले उनकी लंबी और धैर्यपूर्ण पारियों की याद आती है। उन्हें भारतीय टेस्ट क्रिकेट में राहुल द्रविड़ का उत्तराधिकारी कहा जाता रहा है। 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने वाले पुजारा ने अपने करियर में 103 टेस्ट मैचों में 7,195 रन बनाए, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। उनका बल्लेबाज़ी औसत 43 से अधिक रहा, जो बताता है कि उन्होंने भारत के लिए कितने स्थिर और भरोसेमंद प्रदर्शन किए।
करियर का स्वर्णिम अध्याय – ऑस्ट्रेलिया दौरा

पुजारा के करियर का सबसे यादगार पल 2018-19 का ऑस्ट्रेलिया दौरा रहा। उस समय विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने इतिहास रचते हुए पहली बार ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टेस्ट सीरीज़ जीती थी। इस जीत के नायक चेतेश्वर पुजारा रहे, जिन्होंने सीरीज़ में 521 रन बनाए और ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज़’ चुने गए। उनकी बल्लेबाज़ी ने कंगारू गेंदबाज़ों की कमर तोड़ दी थी और टीम इंडिया के खिलाड़ियों में आत्मविश्वास भर दिया था।
घरेलू क्रिकेट में बेजोड़ रिकॉर्ड
पुजारा सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि घरेलू क्रिकेट में भी एक दिग्गज साबित हुए। उन्होंने 21,301 प्रथम श्रेणी रन बनाए, जिसमें 66 शतक और कई दोहरे शतक शामिल हैं। रणजी ट्रॉफी और काउंटी क्रिकेट में उनकी पारियां आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। यही कारण है कि उन्हें ‘डोमेस्टिक क्रिकेट का किंग’ भी कहा जाता है।
संन्यास की घोषणा पर Cheteshwar Pujara का भावुक संदेश
संन्यास की घोषणा करते हुए पुजारा ने सोशल मीडिया पर लिखा –
“भारतीय जर्सी पहनकर खेलना, राष्ट्रगान गाना और मैदान पर टीम के लिए लड़ना मेरे जीवन का सबसे बड़ा गौरव रहा है। अब समय आ गया है कि मैं अपने करियर को अलविदा कहूँ और नई पीढ़ी को मौका दूँ। क्रिकेट ने मुझे सब कुछ दिया और मैं इसके लिए हमेशा आभारी रहूँगा।”
उनकी इस पोस्ट के बाद क्रिकेट जगत और फैंस ने उन्हें जमकर श्रद्धांजलि दी।
क्रिकेट जगत की प्रतिक्रियाएँ
- सचिन तेंदुलकर ने लिखा – “पुजारा, तुमने भारतीय क्रिकेट को स्थिरता और धैर्य का असली मतलब समझाया।”
- अनिल कुंबले ने ट्वीट किया – “तुम्हारा योगदान अमूल्य है। आने वाली पीढ़ियाँ तुम्हारे धैर्य और समर्पण से सीखेंगी।”
- वहीं, प्रशंसकों ने उन्हें ‘आधुनिक युग का टेस्ट योद्धा’ और ‘क्रिकेट का असली सज्जन खिलाड़ी’ बताया।
बिना विदाई मैच का अंत
दुर्भाग्य से पुजारा को वह सम्मानजनक विदाई नहीं मिली जिसकी उम्मीद क्रिकेट प्रशंसक कर रहे थे। उन्हें अंतिम टेस्ट खेलने का मौका नहीं दिया गया। ऐसे में वे उन भारतीय दिग्गजों की सूची में शामिल हो गए जिन्होंने बिना विदाई मैच खेले ही करियर को अलविदा कहा—इसमें वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी जैसे नाम शामिल हैं।
भारतीय क्रिकेट पर Cheteshwar Pujara की विरासत

पुजारा की सबसे बड़ी खासियत थी उनकी तकनीक, एकाग्रता और टीम के लिए लंबे समय तक डटे रहने की क्षमता। जब टीम मुश्किल में होती थी, तब वे भारतीय पारी को संभालने के लिए दीवार बनकर खड़े हो जाते थे। उनकी शांत स्वभाव और खेल के प्रति समर्पण ने उन्हें युवाओं के लिए रोल मॉडल बना दिया।
नए अध्याय की शुरुआत
संन्यास के बाद माना जा रहा है कि पुजारा क्रिकेट कमेंट्री और कोचिंग में अपना करियर बना सकते हैं। उनकी क्रिकेट समझ और अनुभव भारतीय टीम और आने वाले क्रिकेटर्स के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती है।चेतेश्वर पुजारा का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक युग का अंत है। उन्होंने अपनी निस्वार्थ बल्लेबाज़ी और संघर्षशील रवैये से टीम इंडिया को कई बार संकट से निकाला। उनका करियर आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि क्रिकेट सिर्फ तेज़ रनों का खेल नहीं, बल्कि धैर्य, संयम और समर्पण का भी खेल है। पुजारा का नाम हमेशा उन क्रिकेटरों की सूची में लिखा जाएगा जिन्होंने बल्ले से नहीं, बल्कि अपने जज्बे और समर्पण से इतिहास रचा।