भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए मलेरिया के खिलाफ पहला स्वदेशी टीका “EdFalciVax” तैयार कर लिया है। यह दशकों से इस जानलेवा बीमारी से जूझ रहे देश के लिए न सिर्फ एक बड़ी राहत है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के अभियान का भी एक मजबूत उदाहरण है।
ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (RMRC) के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस वैक्सीन को विकसित किया है। इसे लैक्टोकोकस लैक्टिस नामक बैक्टीरिया की मदद से तैयार किया गया है, जो आमतौर पर दही और पनीर बनाने में उपयोग होता है। इसकी विशेषता यह है कि यह मलेरिया परजीवी को शरीर की रक्त धारा में पहुंचने से पहले ही रोक देता है और मच्छरों के माध्यम से इसके फैलाव पर भी नियंत्रण करता है।
अब तक जो मलेरिया के टीके उपलब्ध थे, वे महंगे थे और उनकी प्रभावशीलता 33% से 67% के बीच ही सीमित थी। लेकिन EdFalciVax एक सस्ता, अधिक प्रभावी और स्वदेशी विकल्प बनकर सामने आया है। ICMR ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर इसके उत्पादन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वैक्सीन दुनिया के उन देशों के लिए भी कारगर साबित हो सकती है जो मलेरिया से बुरी तरह प्रभावित हैं।
EdFalciVax: वैज्ञानिक दृष्टिकोण और काम करने का तरीका
EdFalciVax एक प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है, जो शरीर की इम्यून प्रणाली को मलेरिया के परजीवी (Plasmodium falciparum) के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करती है। जब किसी व्यक्ति को मलेरिया संक्रमित मच्छर काटता है, तो यह वैक्सीन परजीवी को शरीर में फैलने से पहले ही रोक देती है।
साथ ही, इसका असर केवल व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि मच्छर-जनित संक्रमण की चेन को भी तोड़ता है, जिससे पूरे समुदाय को सुरक्षा मिलती है।
दूसरे टीकों की तुलना में EdFalciVax क्यों बेहतर है?
मापदंड | अन्य टीके(RTS,S) | EdFalciVax |
प्रभावशीलता | 33%-67% | इससे अधिक ( सटीक अकड़े जल्द) |
कीमत | महंगे | किफायती |
तकनीक | विदेशी | स्वदेशी और जैविक |
असर | सीमित अवधि तक | लम्बी अवधि तक |
उत्पादन और सार्वजनिक उपयोग
EdFalciVax का उद्योग स्तर पर उत्पादन ICMR और निजी कंपनियों के सहयोग से शुरू हो चुका है। इसके पहले चरण में इसे उच्च जोखिम वाले राज्यों जैसे ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर भारत में प्राथमिकता दी जाएगी।
वैश्विक प्रभाव और भविष्य की दिशा
भारत का यह कदम सिर्फ देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा। यह वैक्सीन अफ्रीका, दक्षिण एशिया और अन्य मलेरिया-प्रभावित देशों के लिए भी कारगर हो सकता है। भारत अब सिर्फ वैक्सीन का उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक वैक्सीन आपूर्तिकर्ता और नेता बन रहा है।
निष्कर्ष: मलेरिया उन्मूलन की ओर निर्णायक कदम
EdFalciVax न केवल वैज्ञानिक सफलता है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता, नवाचार और जनस्वास्थ्य सुरक्षा का प्रतीक है। यह वैक्सीन मलेरिया के खिलाफ निर्णायक हथियार साबित हो सकता है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि डेंगू से पहले मलेरिया को जड़ से खत्म किया जा सकता है।