नेपाल में सत्ता परिवर्तन का भूचाल
Gen-Z,नेपाल की राजनीति बीते एक दशक से तीन चेहरों के इर्द-गिर्द घूमती रही – केपी शर्मा ओली, पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और शेर बहादुर देउबा। प्रधानमंत्री की कुर्सी इनके लिए “म्यूजिकल चेयर” जैसी बन गई थी। 2015 से 2025 तक ओली चार बार, देउबा दो बार और प्रचंड दो बार प्रधानमंत्री बने।
लेकिन सितंबर 2025 में हालात बदल गए। सोशल मीडिया पर बैन, बढ़ती बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से तंग आकर युवाओं ने सड़कों पर उतरकर Gen-Z आंदोलन खड़ा कर दिया। विरोध इतना तेज हुआ कि KP ओली को सत्ता से इस्तीफा देना पड़ा।
सुशीला कार्की: नया चेहरा, नई उम्मीद
नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की को राष्ट्रपति ने अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया। उनका राजनीतिक दल से कोई सीधा जुड़ाव नहीं है और उन्हें न्यायप्रिय तथा निष्पक्ष नेतृत्व का चेहरा माना जाता है।
अब उनकी सबसे बड़ी चुनौती है:
- हिंसक प्रदर्शनों की जांच,
- भ्रष्टाचार मामलों में पारदर्शिता,
- 2026 में समय पर आम चुनाव कराना,
- और युवाओं का भरोसा जीतना।
क्यों भड़का Gen-Z आंदोलन?
- सोशल मीडिया बैन: सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर पाबंदी लगाई, जिसे युवाओं ने अपनी आवाज़ दबाने की कोशिश बताया।
- भ्रष्टाचार और वंशवाद: सालों से एक ही तिकड़ी सत्ता में थी और विकास की रफ्तार धीमी थी।
- बेरोज़गारी और आर्थिक असमानता: युवा वर्ग को न तो नौकरी मिली, न ही स्थिर भविष्य की गारंटी।
प्रदर्शनों के दौरान 50 से अधिक लोगों की मौत और हज़ारों घायल हुए। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद सरकार को सोशल मीडिया बैन हटाना पड़ा।
क्षेत्रीय और वैश्विक असर
नेपाल का यह राजनीतिक मोड़ भारत और चीन जैसे पड़ोसी देशों की रणनीति पर भी असर डाल सकता है।
- भारत के साथ सुशीला कार्की के शैक्षणिक रिश्ते (BHU की पूर्व छात्रा होने के नाते) रिश्तों में नई गर्माहट ला सकते हैं।
- चीन नेपाल की राजनीति में स्थिरता चाहता है क्योंकि वह निवेश और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स में शामिल है।
- अंतरराष्ट्रीय जगत इसे “लोकतांत्रिक जागरण” के तौर पर देख रहा है।
नेपाल की युवा पीढ़ी की मांगें
नेपाल के नए राजनीतिक दौर में सबसे बड़ी भूमिका युवाओं की है। वे चाहते हैं:
- डिजिटल स्वतंत्रता: सोशल मीडिया और इंटरनेट पर सेंसरशिप न हो।
- शिक्षा और रोजगार: उच्च शिक्षा और नौकरी के अवसर बढ़ें।
- जवाबदेह सरकार: नेताओं पर भ्रष्टाचार या घोटाले के आरोप हों तो तुरंत जांच हो।
- समान अवसर: महिलाओं और पिछड़े वर्गों को राजनीति और प्रशासन में बराबरी का स्थान मिले।
Gen-Z की इन मांगों ने नेपाल के लोकतांत्रिक भविष्य की दिशा तय करनी शुरू कर दी है।