Goverdhan Asrani
1 जनवरी 1941- 20 अक्टूबर 2025
स्थान: मुंबई, महाराष्ट्र
आयु: 84 वर्ष
असरानी – हंसी के सम्राट का आख़िरी सफ़र
हिंदी सिनेमा जगत से एक बेहद दुखद खबर आई है। मशहूर अभिनेता और कॉमेडी के बादशाह गोवर्धन असरानी का 20 अक्टूबर 2025 को मुंबई के जूहू अस्पताल में निधन हो गया।
असरानी पिछले कई दिनों से सांस लेने में तकलीफ़ और फेफड़ों में पानी भरने (lung infection and fluid accumulation) की समस्या से जूझ रहे थे।
उन्हें कुछ दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनके परिवार ने बताया कि असरानी की मृत्यु लंबी बीमारी और श्वसन तंत्र (respiratory complications) की वजह से हुई।
उनके अंतिम संस्कार का आयोजन मुंबई के सांताक्रूज़ श्मशान घाट में किया गया, जिसमें केवल परिवार और करीबी दोस्त शामिल हुए।
सबसे भावुक पल यह था कि मृत्यु से कुछ घंटे पहले ही असरानी ने सोशल मीडिया पर दिवाली की शुभकामनाएं दी थीं।
उनके अचानक जाने से फिल्म इंडस्ट्री और फैंस दोनों सदमे में हैं।
असरानी का फिल्मी सफर
असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर (राजस्थान) में एक सिंधी परिवार में हुआ था।
उन्होंने FTII, पुणे से अभिनय की पढ़ाई की और फिर मुंबई आकर फिल्मों में कदम रखा।
उनका करियर पांच दशकों से भी लंबा रहा। असरानी ने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया और हर भूमिका में अपनी अलग पहचान बनाई।
असरानी के सबसे यादगार रोल
- शोले (1975) – “हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं” वाला डायलॉग आज भी दर्शकों की ज़ुबान पर है।
- चुपके चुपके (1975) – असरानी की कॉमिक टाइमिंग ने फिल्म को एक क्लासिक बना दिया।
- आज की ताज़ा खबर (1974) – इस फिल्म के लिए असरानी को फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन अवॉर्ड मिला।
- बालिका वधू (1977) – इस फिल्म ने उन्हें दूसरा फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड दिलाया।
- धमाल, भूल भुलैया, वेलकम – नई पीढ़ी की फिल्मों में भी असरानी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
- चला मुरारी हीरो बनने (1977) – इसमें उन्होंने निर्देशन और अभिनय दोनों किया।
असरानी के प्रमुख पुरस्कार
फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन (1974) – आज की ताज़ा खबर
फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन (1977) – बालिका वधू
लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड्स – भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए
असरानी की विरासत
असरानी सिर्फ़ एक अभिनेता नहीं, बल्कि हंसी का प्रतीक थे।
70s और 80s के दशक में उनकी उपस्थिति लगभग हर बड़ी फिल्म में होती थी।
उनकी कॉमेडी में सादगी, मासूमियत और गहराई थी।
उन्होंने कभी भद्दी कॉमेडी नहीं की — बल्कि परिवार के साथ देखने योग्य, शालीन ह्यूमर को जिंदा रखा।
उनकी एक्टिंग, चेहरे की भावनाएं और संवाद बोलने की शैली ने उन्हें दर्शकों के दिलों में अमर कर दिया।
श्रद्धांजलि
Goverdhan Asrani का जाना बॉलीवुड कॉमेडी का एक युग समाप्त होने जैसा है।
उन्होंने हमें हंसना सिखाया, और अब उनकी यादें हमेशा मुस्कुराहट के साथ याद की जाएंगी।
“हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं…” — ये लाइन अब हमेशा असरानी की याद दिलाती रहेगी।
ओम् शांति