Vitamin D को अक्सर “सनशाइन विटामिन” कहा जाता है। लेकिन बहुत से लोग सप्लीमेंट सालों ले रहे हैं फिर भी थकान, मूड स्विंग्स या हड्डियों का दर्द कम नहीं होता। इसका कारण अक्सर लीन या गलत तरीका होता है, न कि सप्लीमेंट की कमी। नीचे दिए गए वैज्ञानिक और क्लिनिकल पॉइंट्स पढ़ें। ये छोटे-छोटे बदलाव आपके विटामिन के फायदे बढ़ा सकते हैं।
विटामिन D सक्रिय होने के लिए मैग्नीशियम जरूरी है
यह विटामिन को शरीर में “एक्टिव” रूप में बदलने के लिए मैग्नीशियम की भूमिका अहम है। अगर आपकी डायट में मैग्नीशियम कम है तो विटामिन D की सप्लीमेंटेशन का पूरा लाभ नहीं मिलेगा। पालक, बादाम, कद्दू के बीज जैसे फूड्स मैग्नीशियम के अच्छे सोर्स हैं । और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर मैग्नीशियम सप्लीमेंट लें।
विटामिन D फैट-सॉल्यूबल है । इसे फैट के साथ लें
यह विटामिन पानी में नहीं घुलता। इसके अलावा इसे फैट वाले खाने के साथ लेने से शरीर में इसकी अवशोषण क्षमता बढ़ जाती है। रिसर्च में दिखा है कि फैटयुक्त भोजन के साथ लेने पर यह विटामिन के पिक (levels) ज्यादा बढ़ते हैं बनाम बिना फैट के। इसलिए उसे खाली पेट लेने की आदत छोड़ दें — दही, अंडे या मुट्ठीभर नट्स के साथ लें।
विटामिन K2 को नज़रअंदाज न करें
यह विटामिन कैल्शियम के स्तर को बढ़ाता है । पर K2 यह सुनिश्चित करता है कि कैल्शियम हड्डियों में जमा हो न कि धमनियों में। D और K2 के बीच संतुलन टूटने पर अर्टेरियल कैल्सिफिकेशन का जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए कोई भी उच्च डोज़ विटामिन D लेते समय K2 पर भी ध्यान दें। या अपने डॉक्टर से सलाह लें।
डोज़ और टेस्टिंग — “एक साइज सब पे नहीं फिट बैठता”
NHS जैसी गाइडलाइंस सामान्य लोगों के लिए 400 IU प्रतिदिन का सुझाव देती हैं। जबकि कई वयस्कों को उनके स्तर और परिस्थिति के अनुसार 1,000–2,000 IU की ज़रूरत हो सकती है। साथ ही अधिकतम सुरक्षित सीमा (अति-खुराक) के बारे में सावधान रहें। वयस्कों के लिए ~4,000 IU/दिन से अधिक न लें जब तक डॉक्टर न कहे। इसलिए शुरू करने, बढ़ाने या बंद करने से पहले अपनी 25(OH)D ब्लड रिपोर्ट दिखाकर सलाह लें।
बहुत से लोग सिर्फ गर्मियों में धूप होने पर सप्लीमेंट बंद कर देते हैं। पर आजकल की लाइफस्टाइल (इंडोर, ढके कपड़े, सन्सक्रीन) के कारण धूप से हर किसी को पर्याप्त विटामिन नहीं मिलता। जिन लोगों को कम धूप मिलती है । वृद्ध, घरोद्ध निवासी, डार्क स्किन टोन वाले, मोटापे या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ रखने वाले । उन्हें साल भर सप्लीमेंट की ज़रूरत पड़ सकती है। अपनी व्यक्तिगत स्थिति जानने के लिए ब्लड टेस्ट और डॉक्टर से सलाह आवश्यक है।
जल्दी-सा लागू करने योग्य “क्या करें / क्या न करें”
करें
- रोज़ाना सप्लीमेंट को किसी फैट-युक्त भोजन के साथ लें (नाश्ता में दही/अंडा/नट्स)।
- भोजन में मैग्नीशियम स्रोत (पालक, बादाम, बीज) शामिल करें और जरूरत हो तो डॉक्टर से सप्लीमेंटिंग पर चर्चा करें।
- अगर आप लंबा समय इंडोर रहते हैं या जोखिम समूह में हैं तो साल भर टेस्ट व सप्लीमेंट पर विचार करें।
न करें
- खाली पेट विटामिन D लें। (अवशोषण घटेगा)।
- बिना टेस्ट के अनावश्यक उच्च डोज़ लें — यह नुकसानदेह भी हो सकता है।
- Vitamin D लेते समय K2 का ध्यान न रखना — विशेषकर अगर आप कैल्शियम/हार्ट संबंधी दवाएँ ले रहे हैं।
कब डॉक्टर से मिलें (ज़रूरी चेतावनी)
- अगर आप लंबे समय से सप्लीमेंट ले रहे हैं पर लक्षण नहीं जा रहे।
- अगर आप प्लान कर रहे हैं 4,000 IU/दिन से अधिक डोज़ लेने की।
- अगर आप गर्भवती/दूध पिला रही हैं, किडनी/लीवर की बीमारी, या किसी दवा (जैसे कुछ एंटीकोएगुलेंट) पर हैं — डॉक्टर से परामर्श लें।
Vitamin D का सही असर पाने के लिए सिर्फ गोलियाँ नहीं साथ ही सही साथी पोषक तत्व (जैसे मैग्नीशियम, K2), खाने के साथ लेना, और आपकी व्यक्तित्व-आधारित डोज़ मायने रखती है। ब्लड टेस्ट और डॉक्टर की सलाह के साथ छोटे व्यवहारिक बदलाव नतीजे के रूप में (नाश्ते के साथ लेना, मैग्नीशियम-रिच फूड) अक्सर वर्षों की नाकाफी परिणामों को बदल देते हैं।
अतिरिक्त टिप्स: लाइफस्टाइल से भी मिलेगा बूस्ट
- सुबह की हल्की धूप: अगर संभव हो तो रोज़ 10–15 मिनट हाथ-पैर और चेहरे पर धूप लें।
- हेल्दी गट हेल्थ: आंतें पोषण अवशोषण में अहम होती हैं, इसलिए प्रोबायोटिक्स और फाइबर युक्त भोजन लें।
- नियमित ब्लड टेस्ट: 25(OH)D लेवल की जांच साल में एक बार जरूर करें ताकि सही डोज़ एडजस्ट हो सके।
- ओवर-द-काउंटर दवाओं से बचें: इंटरनेट सलाह पर खुराक बदलने से बेहतर है, कि हमेशा डॉक्टर से कंसल्ट करें।