Lipulekh Pass पर भारत और नेपाल फिर आमने सामने, China के साथ करार बना नाराजगी की वजह

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By Puspraj Singh

Lipulekh Pass:भारत और चीन के बीच लिपुलेख के रास्ते व्यापार फिर से शुरू करने की सहमति बनने के एक दिन बाद नेपाल ने लिपुलेख के मामले में आपत्ति जताई है. नेपाल ने बुधवार को कहा कि यह इलाका उसका अभिन्न हिस्सा है. उन्होने कहा कि लिपुलेख का इलाका नेपाल के आधिकारिक नक्शे में भी शामिल है.

नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल सरकार स्पष्ट करना चाहती है कि महाकाली नदी के पूर्व में स्थित लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल के अभिन्न हिस्से हैं. इन्हे आधिकारिक रूप से नेपाल के नक्शे में भी शामिल किया गया है. और यह बात संविधान में भी दर्ज है.

Lipulekh Pass पर भारत और नेपाल फिर आमने सामने

नेपाली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लोक बहादुर छेत्री ने कहा कि सबको पता है कि नेपाल सरकार लगातार भारत सरकार से कह रही है कि इस क्षेत्र में सड़क निर्माण न किया जाय और न ही सीमा व्यापार जैसी कोई गतिविधि चलाई जाय. उन्होने आगे कहा कि नेपाल सरकार ने पहले ही चीन की सरकार को सूचित कर दिया है कि यह इलाका नेपाल का हिस्सा है.

भारत ने कहा कि नेपाल के Lipulekh Pass के दावे अनुचित

इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ये दावे अनुचित और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. भारत हमेशा से कहता आया है कि लिपुलेख , कालापानी और लिम्पियाधुरा उसके क्षेत्र में आते हैं. लेकिन नेपाल में ये बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत और चीन के बीच लिपुलेख दर्रे से सीमा व्यापार साल 1954 में शुरू हुआ था . यह कई दशकों से जारी है. कोविड और अन्य कारणों से यह कुछ समय के लिये बन्द कर दिया गया था. लेकिन अब दोनों पक्षों ने इसे फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है.

उन्होने कहा कि जहां तक क्षेत्रीय दावों की बात है तो हमारी स्थिति साफ है कि ऐसे दावे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित हैं. किसी भी तरह के एकतरफा दावे स्वीकार नहीं किये जायेंगे.

भारत और चीन के करार

साल 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच झड़प के बाद सीमा व्यापार बंद हो गया था. लेकिन पिछले साल दोनों देशों ने लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर सहमति जताई थी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जायसवाल ने बताया कि हमने बॉर्डर के जरिये व्यापार को आसान बनाने पर सहमति जताई है. इसमे उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा , हिमाचल का शिंपकी ला दर्रा और सिक्किम का नाथू ला दर्रा शामिल है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच समझौते में भी लिपुलेख दर्रे का जिक्र किया गया है. इस पर चीनी विदेश मंत्रालय ने भी अपनी सहमति जताई है. जिसके बाद नेपाल सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र का बताकर आपत्ति जताई है.

पहले भी Lipulekh Pass पर शुरू हुआ था विवाद

2020 में इसी मुद्दे को लेकर नेपाल में हिंसक प्रदर्शन भी हुये थे

लिपुलेख नेपाल के उत्तर पश्चिम में स्थित है. यह भारत और नेपाल की सीमा से जुडा हुआ है. भारत इस इलाके को उत्तराखंड का हिस्सा मानता है. नवंबर 2019 में भारत ने जम्मू कश्मीर का विभाजन कर दो केन्द्र शासित प्रदेश बनाये इसके साथ ही नया नक्शा जारी किया. इस नक्शे में ये इलाके भी शामिल थे. इस पर नेपाल ने अपनी कड़ी आपत्ति जताई थी. नेपाल ने भारत से अपना नक्शा बदलने को कहा था क्योकि कालापानी उसका इलाका है. जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था .साल 2020 में इसी मुद्दे को लेकर नेपाल में हिंसक प्रदर्शन भी हुये थे.  लेकिन अब फिर से लिपुलेख दर्रे को लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई है.

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