Chaudhary Charan Singh:“जिसने हल को बनाया राजनीति का केंद्र”
जब भी भारतीय राजनीति की बात होती है, तो कुछ नाम सदैव सम्मान के साथ लिए जाते हैं — उनमें से एक हैं चौधरी चरण सिंह। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि किसान आंदोलन के प्रणेता, ग्रामीण भारत की बुलंद आवाज़, और सच्चे अर्थों में धरतीपुत्र थे। उनका जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो सेवा, सादगी और सिद्धांतों को राजनीति का मूल मानते हैं।
एक किसान का बेटा, जो बना देश का प्रधानमंत्री
23 दिसंबर 1902, उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के नूरपुर गांव में जन्मे चरण सिंह एक साधारण किसान परिवार से थे। खेतों की मिट्टी और गांवों की सच्चाई से उनका नाता बचपन से ही जुड़ गया था। यही अनुभव आगे चलकर उनकी राजनीति की आत्मा बना।
उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की, वकालत की दुनिया में कदम रखा, लेकिन जल्द ही देश की आज़ादी की लड़ाई से जुड़ गए। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल गए और तभी यह तय कर लिया कि जीवन राष्ट्र और किसानों की सेवा में ही बिताना है।
सत्ता नहीं, सेवा थी राजनीति का उद्देश्य
आज जब राजनीति अक्सर सिर्फ़ सत्ता की दौड़ लगती दिखती है, चौधरी चरण सिंह एक ऐसी मिसाल हैं जिन्होंने सिद्धांतों को सर्वोपरि रखा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने ऐतिहासिक जमींदारी उन्मूलन कानून लागू किया, जिससे हजारों किसानों को ज़मीन का मालिकाना हक मिला।
उनका मानना था कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाना ही असली राष्ट्रनिर्माण है।
जब संसद में पहली बार किसान की आवाज़ गूंजी
1979 में भारत के प्रधानमंत्री बने चरण सिंह का कार्यकाल भले ही छोटा रहा, लेकिन उनकी उपस्थिति ऐतिहासिक थी। पहली बार देश को ऐसा नेतृत्व मिला जो खेत की मिट्टी में पला-बढ़ा था, जिसे हल चलाना आता था, और जो संसद में भी किसानों की भाषा में बोलता था।
उनका दृढ़ विश्वास था:
“भारत का भविष्य तभी सुरक्षित है जब उसका किसान समृद्ध और स्वावलंबी होगा।”
उन्होंने शहर-केंद्रित विकास मॉडल की आलोचना की और गांव-आधारित नीतियों को प्राथमिकता दी।
चौधरी चरण सिंह की अमर विरासत
आज भी Chaudhary Charan Singh की विचारधारा नीतियों में, आंदोलनों में और हर उस किसान की आंखों में जीवित है जो अपने अधिकार के लिए खड़ा होता है।
उनके नाम पर हर वर्ष 23 दिसंबर को “किसान दिवस” मनाया जाता है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ जान सकें कि राजनीति केवल कुर्सी का खेल नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है।
29 मई: पुण्यतिथि पर राष्ट्र की श्रद्धांजलि
29 मई, Chaudhary Charan Singh की पुण्यतिथि पर देशभर में श्रद्धांजलि सभाएं, किसान रैलियाँ, और विचार गोष्ठियाँ आयोजित हो रही हैं।
लोग उन्हें याद कर रहे हैं — एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसी विचारधारा के रूप में जो आज भी भारतीय लोकतंत्र की आत्मा को जीवन देती है।
निष्कर्ष: एक नेता, एक विचार, एक आंदोलन
Chaudhary Charan Singh केवल किसानों के नेता नहीं थे, वे भारतीय लोकतंत्र की आत्मा के रक्षक थे।
उनका जीवन यह सिखाता है कि सच्चे नेता वो होते हैं जो जनता के बीच से उठते हैं और उन्हीं की आवाज़ बनते हैं।
संतुलन न्यूज़ की ओर से इस महान राष्ट्रभक्त को शत-शत नमन।