Navratri 2025: दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा, महत्व और कथा

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By Akanksha Singh Baghel

नवरात्रि का दूसरा दिन

Navratri 2025,का दूसरा दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना के लिए समर्पित होता है। इस दिन भक्त माँ से तपस्या, संयम और भक्ति की शक्ति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।


माँ ब्रह्मचारिणी कौन हैं?

माँ ब्रह्मचारिणी, देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं। इनके दाएँ हाथ में जपमाला और बाएँ हाथ में कमंडल होता है। ये सादगी और पवित्रता का प्रतीक मानी जाती हैं।

Navratri, इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। सफेद वस्त्र धारण करने वाली ये देवी ज्ञान और तपस्या का संदेश देती हैं।साधकों को धैर्य, संयम और मानसिक शक्ति प्रदान करती हैं।


माँ ब्रह्मचारिणी की कथा

पुराणों के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की। पहले कई वर्षों तक केवल फल-फूल खाए। फिर वर्षों तक सिर्फ बेलपत्र से जीवन व्यतीत किया।अंत में कठोर तपस्या करते हुए भोजन और जल का भी त्याग कर दिया।

उनकी इस अनन्य भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची श्रद्धा, धैर्य और तपस्या से असंभव भी संभव हो जाता है।


तिथि और शुभ मुहूर्त (2025)
  • तारीख: 23 सितम्बर 2025
  • ब्रह्म मुहूर्त: 4:35 AM – 5:22 AM
  • अभिजीत मुहूर्त: 11:49 AM – 12:37 PM
  • संध्या का समय भी विशेष शुभ माना गया है।

आज का रंग और भोग
  • इस दिन का शुभ रंग: लाल
  • देवी का वस्त्र: सफेद
  • प्रिय भोग: गुड़, शक्कर से बने व्यंजन और फल

पूजा विधि
  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. कलश स्थापना कर माँ ब्रह्मचारिणी का चित्र/प्रतिमा स्थापित करें।
  3. रोली, चंदन, अक्षत और लाल पुष्प अर्पित करें।
  4. घी का दीपक जलाकर धूपबत्ती करें।
  5. फल और सफेद मिठाई का भोग चढ़ाएँ।
  6. मंत्र का जाप करें: “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
  7. आरती और भजन के साथ पूजा पूर्ण करें।

महत्व

माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में धैर्य, संयम और भक्ति का विकास होता है।

उनके आशीर्वाद से साधक को ज्ञान और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उनकी पूजा से मंगल दोष का निवारण भी होता है।

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