नवमी का महत्व
Navratri Ki Navmi महा नवमी कहलाता है। यह तिथि मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री को समर्पित होती है। इस दिन श्रद्धालु विशेष पूजा और कन्या पूजन करते हैं। इसी तरह, घरों में भोग और प्रसाद भी लगाया जाता है।
आज अष्टमी और नवमी एक साथ
इस वर्ष खास संयोग बना है। क्योंकि आज अष्टमी और नवमी दोनों एक ही दिन मनाई जा रही हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब ऐसा संयोग होता है तो पूजा का फल और भी शुभ माना जाता है। भक्तगण आज दोनों तिथियों की पूजा करके दुगुना आशीर्वाद पा सकते हैं।
आज कौन-सी माता की पूजा होती है?
Navratri Ki Navmi के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां को सभी सिद्धियों की दात्री कहा गया है। वहीं, पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियाँ प्राप्त की थीं।
मां सिद्धिदात्री की कथा
कथा के अनुसार, जब सृष्टि की उत्पत्ति हो रही थी तब चारों ओर अंधकार था। उस समय भगवान शंकर ने घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां सिद्धिदात्री प्रकट हुईं। उन्होंने भगवान शंकर को सभी सिद्धियों का वरदान दिया। इस प्रकार, भगवान शंकर ने अर्धनारीश्वर रूप धारण किया। मां सिद्धिदात्री भक्तों को ज्ञान, समृद्धि और सिद्धि प्रदान करती हैं।
शुभ रंग और भोग
शुभ रंग : बैंगनी (Purple)। यह रंग शक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
भोग : मां को आज तिल, हलुआ और नारियल का भोग अर्पित करें। इसके अलावा, कन्याओं को भोजन कराना भी विशेष फलदायी है।
पूजा विधि
सुबह स्नान करके मंदिर को सजाएं।
मां की प्रतिमा पर लाल या पीला वस्त्र चढ़ाएं।
धूप, दीप, पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
दुर्गा सप्तशती या नवदुर्गा स्तोत्र का पाठ करें।
कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन और दक्षिणा दें।
नवमी का महत्व और आशीर्वाद
नवरात्रि का यह अंतिम दिन बहुत शुभ माना जाता है। मां सिद्धिदात्री की पूजा से रोग और दोष दूर होते हैं। साथ ही, भक्तों को सुख, शांति और सिद्धि प्राप्त होती है।