New initiatives in India-Bhutan relations भारत और भूटान के बीच संबंधों को नई दिशा देने के लिए केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। पहली बार दोनों देशों को रेल संपर्क से जोड़ने वाली दो बड़ी सीमा-पार परियोजनाओं की घोषणा हुई है। सोमवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संयुक्त रूप से इस योजना का खाका पेश किया।
इन परियोजनाओं का उद्देश्य केवल आवागमन को आसान बनाना नहीं है, बल्कि यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रणनीतिक सहयोग को भी नई ऊँचाई पर ले जाएगा।
पहली परियोजना: कोकराझार (असम) – गेलेफू (भूटान)
लंबाई: लगभग 69 किमी
अनुमानित लागत: ₹3,456 करोड़
ढांचा:
छह स्टेशन
दो बड़े पुल
29 प्रमुख ब्रिज और 65 छोटे पुल
एक फ्लाईओवर और 39 अंडरपास
यह लाइन पूर्वोत्तर भारत के असम को सीधे भूटान से जोड़ेगी। इसे दोनों देशों के बीच सबसे अहम और बड़ी परियोजना माना जा रहा है।
दूसरी परियोजना: बनारहाट (पश्चिम बंगाल) – समत्से (भूटान)
लंबाई: लगभग 20 किमी
अनुमानित लागत: ₹577 करोड़
ढांचा:
दो स्टेशन
एक प्रमुख पुल
24 छोटे पुल और 37 अंडरपास
यह प्रोजेक्ट छोटा होने के बावजूद भूटान के दक्षिणी हिस्से को भारत से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कुल लागत और वित्तीय ढाँचा
दोनों परियोजनाओं पर कुल लगभग ₹4,033 करोड़ का खर्च आएगा।
भारत की रेल मंत्रालय अपने हिस्से का वित्तपोषण करेगी।
भूटान के हिस्से का काम भारत सरकार की **विदेश मंत्रालय सहायता और भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल किया जाएगा।
क्यों हैं ये परियोजनाएँ अहम?
- पहली बार रेल कनेक्टिविटी – भूटान अब तक केवल सड़क और हवाई मार्ग से भारत से जुड़ा रहा है। रेल लाइन उसे भारत के विशाल नेटवर्क से जोड़ेगी।
- व्यापार में तेजी – माल ढुलाई सस्ती और तेज़ होगी, जिससे आयात-निर्यात दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगा।
- पर्यटन और रोज़गार – सीमावर्ती इलाकों में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और नए रोज़गार अवसर पैदा होंगे।
- रणनीतिक दृष्टिकोण – चीन की सीमा से नज़दीकी को देखते हुए ये रेल परियोजनाएँ सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम हैं।
चुनौतियाँ
पर्यावरणीय मंज़ूरी: परियोजनाएँ पहाड़ी और संवेदनशील क्षेत्रों से गुजरेंगी।
भूमि अधिग्रहण: सीमावर्ती इलाकों में ज़मीन की उपलब्धता चुनौती हो सकती है।
निर्माण की जटिलता: इतने बड़े पैमाने पर पुल और अंडरपास बनाना आसान नहीं होगा। तय समयसीमा
कोकराझार–गेलेफू लाइन: 4 साल में पूरा करने का लक्ष्य।
बनारहाट–समत्से लाइन: 3 साल में पूरी होने की योजना।
भविष्य की तस्वीर
New initiatives in India-Bhutan relations इन परियोजनाओं से भारत और भूटान के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध नई मज़बूती पाएँगे। सीमावर्ती इलाकों में विकास की रफ़्तार तेज़ होगी और दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी।
यह कहना गलत नहीं होगा कि ये रेल लाइनें केवल पटरियाँ नहीं हैं, बल्कि भारत और भूटान के बीच दोस्ती की एक नई डोर हैं।