Pope Francis: एक युग का अंत, सादा जीवन, बड़ा संदेश देने वाले पोप फ्रांसिस नहीं रहे

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By Payal Choudhary


Pope Francis: 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जोर्ज मारियो बर्गोलियो था। अब इस दुनिया में नहीं रहे। वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फैरेल ने उनके निधन की घोषणा की, जिससे चर्च और दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ गई है। कैथोलिक चर्च के 266वें Pope Francis के रूप में उन्होंने 2013 में पदभार संभाला था। वे पहले लैटिन अमेरिकी और पहले जेसुइट Pope Francis बने थे।

एक सरल लेकिन क्रांतिकारी कवि

पोप फ्रांसिस का कार्यकाल परंपराओं को तोड़ने और नई राहें खोलने वाला रहा। उन्होंने वेटिकन के भव्य अपार्टमेंट को छोड़कर एक साधारण गेस्टहाउस में रहना चुना। उन्होंने चर्च को विनम्रता, समावेशिता और सामाजिक न्याय की ओर मोड़ा। उनके कार्यकाल में चर्च के भीतर वित्तीय पारदर्शिता, यौन उत्पीड़न के मामलों पर कार्रवाई, और पर्यावरण तथा LGBTQ+ अधिकारों जैसे मुद्दों पर चर्च की भूमिका को नया आयाम मिला। वर्ष 2015 में उनका प्रसिद्ध दस्तावेज Laudato Si’ एक नैतिक आह्वान बन गया था, जिसमें उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को धार्मिक दायित्व के रूप में प्रस्तुत किया।

स्वास्थ्य बना चिंता का कारण

युवावस्था में एक फेफड़े के हिस्से को खो देने के बाद से ही उनकी सेहत नाजुक बनी रही। हाल के महीनों में उनकी सार्वजनिक उपस्थिति कम होती जा रही थी, और इस वर्ष के शुरुआत में उन्हें डबल न्यूमोनिया हुआ था। फिर भी, वे मृत्यु और विरासत पर खुलकर बोलते रहे। 2023 के एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मुझे डर नहीं है। यह जीवन की यात्रा का हिस्सा है।”

सरल विदाई, भव्य परंपराओं से परे

पोप फ्रांसिस की अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार पारंपरिक भव्यता के बिना किया जाएगा। उनके सम्मान में चर्च अब सदे वाकांते की स्थिति में है — अर्थात “Pope Francis की गद्दी खाली है।”
कार्डिनल फैरेल ने परंपरा के अनुसार उनके शव के सामने उनका बपतिस्मा नाम तीन बार पुकारा। उनकी अधिकारिक मुहर, फिशरमैन रिंग, को भी नष्ट कर दिया गया है, जिससे उनके आधिकारिक कार्यकाल का अंत चिह्नित किया जा सके।
उनका पार्थिव शरीर सेंट पीटर बेसिलिका में दर्शन के लिए रखा जाएगा, लेकिन बिना परंपरागत तामझाम के। उन्हें सादा लकड़ी और जिंक के ताबूत में सांता मारिया माज्जोरे में दफनाया जाएगा, जहाँ वे हर विदेशी दौरे से पहले और बाद में प्रार्थना किया करते थे। वे पिछले सौ वर्षों में पहले पोप होंगे जिन्हें वेटिकन ग्रोटोज़ के बाहर दफनाया जाएगा।

नौ दिनों का शोक, फिर नए पोप की तलाश

वेटिकन में अब नोवेंदियाले — नौ दिनों की शोक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हर दिन विशेष प्रार्थनाएं और रेक्वियम मास आयोजित की जा रही हैं। उनका अंतिम संस्कार उनके निधन के चौथे से छठे दिन के बीच संपन्न होगा, जिसकी अगुवाई कार्डिनल जियोवानी बतिस्ता रे करेंगे।

दो पोपों वाला युग समाप्त

पोप फ्रांसिस का निधन कैथोलिक चर्च के उस ऐतिहासिक अध्याय का भी समापन है, जब पहली बार दो पोप एक ही समय में वेटिकन में मौजूद थे। उनके पूर्ववर्ती पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने 2013 में इस्तीफा दिया था — यह छह सदियों में पहली बार हुआ था। इससे चर्च के भीतर रूढ़िवादी और प्रगतिशील विचारधाराओं के बीच तनाव और बहस उभरकर सामने आई थी। अब, चर्च एक बार फिर नए नेतृत्व की ओर देख रहा है — एक ऐसे व्यक्ति की तलाश में जो पोप फ्रांसिस की विरासत को आगे बढ़ा सके।

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