हरियाणा चुनावी चक्रव्यू में आज बारी है एक और हाई प्रोफाइल रनिया विधानसभा सीट की। 2009 में रानियां विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। चौटाला परिवार के प्रभाव का यह क्षेत्र अभी तक कॉन्ग्रेस और भाजपा के दांत खट्टे करता रहा है। 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में इनलो पार्टी के प्रत्याशी यहां से विजयी रहे। जबकि देवीलाल चौटाला के तीसरे बेटे रणजीत सिंह चौटाला 2009 और 2014 के चुनाव मे कॉन्ग्रेस प्रत्याशी के रुप मे पराजित हुए। इसी क्षेत्र में गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी का भी असर देखने को मिलता है। कॉन्ग्रेस प्रत्याशी के रुप मे दो बार करारी शिकस्त झेलने वाले रणजीत सिंह चौटाला और कॉन्ग्रेस की राहें जुदा हो गईं और निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में रणजीत सिंह चौटाला इस बार यहां से चुनाव जीत गए। 2024 के विधानसभा चुनाव में इस बार यहां दिलचस्प नजारा है। रणजीत सिंह चौटाला यहां से वर्तमान विधायक और निर्दलीय प्रत्याशी के रुप पुन: मैदान में उतरे हैं। वही इनलो से युवा चेहरा के रूप मे अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला अपना पहला चुनाव रानियां से ही लड़ रहे है। वहीं कॉन्ग्रेस ने सर्वमित्र कांबोज पर भरोसा जताया है सर्वमित्र कांबोज इस इलाके के एक लोकप्रिय पत्रकार भी है साथ ही भारतीय जनता पार्टी की और से सिसपाल कांबोज यहां से प्रत्याशी बनाये गए है। इस बार के चुनाव मे जेजेपी ने अपना प्रत्याशी ना उतार कर परिवार के सदस्य रणजीत सिंह चौटाला को अपना समर्थन दिया है वहीं गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी ने गठबंधन धर्म निभाते हुऐ इनलो प्रत्याशी अर्जुन चौटाला का समर्थन किया। रणजीत सिंह चौटाला और अर्जुन चौटाला यानी दादा और पोते के बीच सीदा मुकाबला होगा। निश्चित तौर पर रानियां विधनसभा के मतदाता के लिए धर्म संकट की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ अनुभवी राजनीति में संघर्ष कर मंत्री पदों को सुशोभित कर चूके रणजीत सिंह चौटाला वही दूसरी ओर परिवार का चिराग युवा जोशीला नौजवान अर्जुन चौटाला में से किसी एक को अपना विधायक चुनना कठिन निर्णय के बराबर होगा। इससे परिवार का सियासी टकराव कहे या आपस की नूरा-कुश्ती। अंततः गत्वा जीत का सहरा तो किसी एक के ही सिर सजेगा। बहरहाल सन्तुलन न्यूज़ रानियां विधनसभा के सभी मतदाताओं को आने वाली 5 तारीख को वोट करने की अपील करता है एवं सभी प्रत्याशियों को अपनी और से शुभकामनाएं अग्रसरित करता है। धन्यवाद