हरियाणा के चुनावी चक्रव्यूह में आज जिस हॉट सीट की आज हम बात कर रहे हैं। वह जींद जिले अंतर्गत आने वाली सफीदों विधानसभा सीट है। यह एक ऐसी सीट है जिस पर भारतीय जनता पार्टी ने आज तक जीत का स्वाद नही चखा। सबसे अधिक यानी 5 बार कॉन्ग्रेस, 2 बार लोकदल, और 3 बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत का परचम यहां लहराया है । इस बार का चुनावी माहौल यहां गर्म है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने दादा रामकुमार गौतम को यहां से उम्मीदवार बनाया है। आइए जानते हैं एक नजर रामकुमार गौतम जी की पृष्ठभूमि पर…

उच्च शिक्षित अधिवक्ता, किसान, स्पष्टवादी और ज़मीन से जुड़ी राजनीति के लिए जाने जाते है। भारतीय जनता पार्टी से अपना राजनैतिक करियर शुरू करने वाले और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के धुर विरोधी। 2005 में हिसार जिले नारनौंद विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव जीते जिसके पश्चात पार्टी से मतभेदों के चलते भारतीय जनता पार्टी से त्याग पत्र देकर अपनी खुद की पार्टी का गठन किया। लेकिन उनका यह प्रयोग असफल रहा। जिसके बाद दुष्यंत चौटाला के आग्रह पर जननायक जनता पार्टी के संस्थापक बने और जजपा के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2019 का चुनाव जजपा के सिंबल पर नारनौंद विधानसभा से हरियाणा सरकार के पुर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के विरुद्ध लड़ा और विजय रहे। 2019 विधानसभा चुनाव परिणाम में हरियाणा को त्रिशंकु जनादेश प्राप्त हुआ। लिहाजा किसी भी दल को पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का अवसर प्राप्त नही हुआ। जिसके बाद भाजपा और जजपा गठबंधन कर साथ आए। जजपा से दुष्यंत चौटाला को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया। मंत्री पद की आस लगाए बैठे पार्टी के 73 वर्षीय वरिष्ठ नेता और संस्थापक सदस्य रामकुमार गौतम को निराशा ही हाथ लगी। जिसके चलते समय-समय पर अपनी ही पार्टी मे उनके बागी स्वर सुनाई देते रहे। और अंत में 2024 विधानसभा चुनाव से पूर्व उन्होंने जननायक जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
वापस चलते हैं सफीदों विधानसभा सीट की ओर जहां भारतीय जनता पार्टी इस बार रामकुमार गौतम के सहारे जीत की उम्मीद लगाए बैठी हैं वहीं कांग्रेस की और से वर्तमान विधायक सुभाष गंगोल,जजपा से सुशील बैरागी एवं आम आदमी पार्टी से निशा जयसवाल को उम्मीदवार बनाया गया है 2019 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के सुभाष गंगोली ने बीजेपी के प्रत्याशी बच्चन सिंह को लगभग साढ़े तीन हजार मतों से पराजित किया था। इस बार भी बीजेपी की राहें कठिन है। क्योंकि बीजेपी प्रत्याशी रामकुमार गौतम पर बाहरी कैंडिडेट होने का आरोप लग रहा है। जिसके जवाब में दादा रामकुमार गौतम का कहना है की मे बाहरी हूं या सब पर भारी हूँ यह तो चुनाव परिणाम के बाद पता चल जाएगा। साथ ही 78 वर्षीय रामकुमार गौतम जी ने उम्र का हवाला देकर अपना अंतिम चुनाव बताते हुए आगे चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा भी कर दी।