छठ पूजा में बनने वाले पारंपरिक पकवान और उनकी विधि — पवित्रता व स्वाद का संगम

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By Akanksha Singh Baghel

Chhath Puja सूर्य देव और छठी मइया की आराधना का महापर्व है, जो चार दिनों तक चलता है। इस दौरान व्रती अत्यंत सात्विक भोजन करते हैं और हर दिन खास पकवान बनाते हैं। इन पकवानों की खासियत है कि ये बिना लहसुन-प्याज, शुद्ध देसी घी और गंगाजल से तैयार किए जाते हैं। आइए जानते हैं छठ पूजा में बनने वाले हर भोग और उसकी बनाने की विधि


कद्दू-भात (नहाय-खाय का भोजन)

महत्व: यह छठ का पहला और सबसे शुद्ध भोजन होता है। इसी से व्रत की शुरुआत होती है।

सामग्री:

अरवा चावल, चना दाल, देसी घी, हल्दी, सेंधा नमक, कद्दू (लौकी या काशीफल)

विधि:

  1. चावल और दाल को अलग-अलग धो लें।
  2. कद्दू को छोटे टुकड़ों में काटें।
  3. मिट्टी के चूल्हे में घी गर्म कर दाल हल्की भूनें।
  4. पानी, हल्दी और नमक डालकर पकाएँ।
  5. फिर चावल और कद्दू डालें, धीमी आंच पर पकाएँ।

सेवन: नहाय-खाय के दिन व्रती यही सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।


रसीया खीर (खरना का भोग)

महत्व: यह दूसरे दिन का प्रसाद है, जब व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास के बाद खरना करते हैं।

सामग्री:

देसी चावल, दूध, गुड़, घी, तुलसी पत्ता

विधि:

  1. दूध को उबालें, उसमें चावल डालें।
  2. जब चावल नरम हो जाए तो गुड़ डालें और चलाते रहें।
  3. गुड़ पूरी तरह घुलने के बाद तुलसी पत्ता डालकर उतार लें।

सेवन: इसे प्रसाद के रूप में घरवालों और आस-पड़ोस के लोगों में बाँटा जाता है।


ठेकुआ (मुख्य प्रसाद)

महत्व: यह Chhath Puja का सबसे प्रिय प्रसाद है, जो हर घर में श्रद्धा से बनाया जाता है।

सामग्री:

गेहूं का आटा, गुड़, सौंफ, नारियल बुरादा, घी

विधि:

  1. गुड़ को गुनगुने पानी में घोलकर छान लें।
  2. आटे में घी, सौंफ और नारियल मिलाकर गुड़ वाला पानी डालें।
  3. सख्त आटा गूंथें और सांचे से डिजाइन बनाएं।
  4. सुनहरा होने तक घी में तलें।

सेवन: इसे सूर्य अर्घ्य के समय पूजा में अर्पित किया जाता है।


गेहूं की पूरी

महत्व: खीर और ठेकुआ के साथ दी जाने वाली जरूरी वस्तु।

सामग्री:

गेहूं का आटा, घी ,सेंधा नमक

विधि:

  1. आटे में थोड़ा घी और नमक डालकर गूंथ लें।
  2. छोटी पूरियाँ बेलें और गर्म घी में तलें।

फल और प्राकृतिक प्रसाद

महत्व: फल प्रकृति और सूर्य की ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं।

सामग्री:
केला, नारियल, सेब, ईख, नींबू, सिंघाड़ा, अदरक, हल्दी, पान, सुपारी।

विधि:
सभी फल धोकर बांस की डालिया या सूप में सजा दिए जाते हैं और सूर्य देव को अर्पित किए जाते हैं।


चना और सुथनी

महत्व: पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक प्रसाद।

विधि:
  1. सुथनी और चने को अलग-अलग उबालें।
  2. हल्का घी और सेंधा नमक डालकर भूनें।
  3. इसे अर्घ्य के बाद प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

अरवा चावल और दाल का भोग

महत्व: अंतिम दिन व्रती इस सात्विक भोजन से व्रत खोलते हैं।

विधि:

  1. अरवा चावल और चने की दाल को एक साथ पकाएँ।
  2. देसी घी डालें और सेंधा नमक मिलाएँ।
  3. इसे सूर्य अर्घ्य के बाद खाया जाता है।

छठ के पकवानों में छिपा संस्कृति का स्वाद

Chhath Puja के पकवान सिर्फ प्रसाद नहीं, बल्कि परंपरा और पवित्रता की निशानी हैं। हर घर में जब ठेकुआ की खुशबू फैलती है, रसीया खीर की मिठास हवा में घुलती है, और मिट्टी के चूल्हे पर पकते कद्दू-भात से धुआँ उठता है, तब ऐसा लगता है मानो पूरा वातावरण भक्ति से सराबोर हो गया हो।

यह पर्व हमें सिखाता है


“पवित्रता से बना भोजन ही ईश्वर को प्रिय होता है।”
“सादगी में भी अपार श्रद्धा हो सकती है।”
“मां छठी और सूर्य देव को जो भाव से अर्पण किया जाए, वही सच्चा प्रसाद बन जाता है।”

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