दुबई का ऑफर, कंबोडिया की कैद
Foreign Job की तलाश कर रहे अश्विनी कुमार, बिंदर सोढ़ी और रमन को मार्च 2024 में 40 हजार रुपये मासिक वेतन का ऑफर मिला। उन्हें कहा गया कि दुबई में डेटा एंट्री की जॉब है। टिकट, व्हाट्सएप मैसेज और एचआर का भरोसा देखकर वे निकल पड़े।
लेकिन जैसे ही वे दुबई पहुंचे, असली कहानी सामने आई। वहां एक कॉल सेंटर में उन्हें स्कैम की ट्रेनिंग दी गई। उन्हें बाहर जाने की इजाजत नहीं थी, और विरोध करने पर मारपीट तक की गई।
कंबोडिया की सीमा पर पासपोर्ट छीना गया
कुछ दिनों बाद उन्हें दुबई से बैंकॉक और फिर कंबोडियाई सीमा तक पहुंचाया गया। वहां उनके पासपोर्ट छीन लिए गए और जबरन सीमा पार कराया गया।
जहां उन्हें रखा गया, वह जगह एक तरह से कैदखाना थी। दो कंपनियों में करीब 600 भारतीय पहले से मौजूद थे, जिन्हें जबरन काम कराया जा रहा था। गार्ड हर समय उन पर नजर रखते थे और भागने वालों की बेरहमी से पिटाई होती थी।
भारतीय दूतावास बना सहारा
करीब तीन महीने तक इन तीनों ने यह सब झेला। जुलाई 2024 में जब उन्हें जरूरत का सामान लेने बाहर जाने का मौका मिला, तो वे सीधे भारतीय दूतावास पहुंच गए और मदद मांगी। दूतावास ने तुरंत कार्रवाई की और उन्हें सुरक्षित भारत भेजा।
मास्टरमाइंड मेरठ से गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने जांच के दौरान पता लगाया कि इस नेटवर्क का स्थानीय कनेक्शन मेरठ से है। आरोपी अली खुमेनी को जुलाई 2024 में गिरफ्तार किया गया। उसने कबूल किया कि वह एक चीनी कंपनी का हिस्सा था, जो धोखाधड़ी और मानव तस्करी कर रही थी।
विदेश मंत्रालय और पुलिस की अपील
Foreign Job, भारत सरकार और दिल्ली पुलिस ने इस घटना के बाद साफ कहा है कि विदेश जाने से पहले लोग किसी भी एजेंट या कंपनी की पूरी जांच-पड़ताल करें। विदेश मंत्रालय ने नागरिकों से अपील की है कि वे केवल eMigrate पोर्टल या मान्यता प्राप्त एजेंसियों के माध्यम से ही नौकरी की प्रक्रिया पूरी करें।
सरकार का कहना है कि अगर किसी को विदेश में फंसने का डर या धोखे का शक हो, तो तुरंत भारतीय दूतावास या हेल्पलाइन से संपर्क करें।