Vice Presidential Election 2025: समीकरण, वोटिंग और क्रॉस-वोटिंग की चुनौतियाँ

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By Akanksha Singh Baghel

Vice Presidential Election 2025,देश में 9 सितंबर 2025 को असामयिक उपराष्ट्रपति चुनाव होगा, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के कुल 770 सांसद गोपनीय मतदान के जरिए अपना मत देंगे. यह चुनाव हालिया उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद होना है. चुनावी मैदान में NDA (बीजेपी-नेतृत्व) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल C. P. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्षी INDIA (इंडिया गठबंधन) ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. हालांकि NDA गठबंधन को स्पष्ट बहुमत का लाभ दिख रहा है, लेकिन चूँकि मतदान पूरी तरह से गुप्त तरीके से होता है, सांसद दल-बदल (क्रॉस-वोटिंग) कर अपने वोटों को तय कर सकते हैं। इस कारण पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों के अलावा व्यक्तिगत या क्षेत्रीय हित भी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

मतदान प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति का निर्वाचन केवल संसद के सदस्यों द्वारा होता है। इसमें लोकसभा के 542 और राज्यसभा के 239 सांसद (साथ ही राज्यसभा के नामित सदस्य) वोट डालने के पात्र हैं. मतदान गुप्त पत्रिका के जरिये होता है और इस प्रक्रिया में पार्टी-व्हिप लागू नहीं होता, इसलिए सांसद पार्टी लाइन से हटकर भी अपना स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं.

जीत के लिए आवश्यक वोट

चुनाव के दिन BJD (बिजू जनता दल) और BRS (भारतीय राष्ट्र समिति) के बहिष्कार के बाद कुल 770 सांसद मतदान में हिस्सा लेंगे. ऐसे में विजेता बनने के लिए आवश्यक वोटों की संख्या आधे से एक अधिक यानी 386 होगी. (सम्पूर्ण सदन की शक्ति 781 होने पर यह संख्या 391 होती, लेकिन अब प्रभावी मतदाता 770 के आधार पर बहुमत तय होगा.)

NDA और INDIA गठबंधन की ताकत

भाजपा-नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को सांसदों के बहुमत का लाभ मिला है: करीब 427 सांसद NDA उम्मीदवार के पक्ष में खड़े हैं. इसमें 293 लोकसभा सांसदों के साथ YSR कांग्रेस के 11 सांसद भी शामिल हैं.

NDA (भाजपा गठबंधन): लगभग 427 सांसद (जिसमें 293 बीजेपी सांसद और YSR कांग्रेस के 11 सांसद) का साथ.

INDIA (विपक्षी गठबंधन): लगभग 315 सांसदों का समर्थन (भाजपा की तुलना में करीब 40 सांसद कम).

अन्य: कुछ छोटे दल और निर्दलीय सांसद (जैसे शिअद, ZPM के 1-1 सांसद और 7 अन्य निर्दलीय) का रुख अभी अनिश्चित है.

उपराष्ट्रपति चुनाव में हर एक सांसद का वोट ‘एक’ माना जाता है, इसलिए NDA को आवश्यक बहुमत से कहीं अधिक (~427) सहयोग मिल चुका है.


BJD और BRS का तटस्थ रुख

Vice Presidential Election 2025 ओडिशा की महाअभियोगी BJD (नवीन पटनायक की पार्टी) के 7 राज्यसभा सांसद हैं और तेलंगाना की BRS (K. चंद्रशेखर राव की पार्टी) के 4 सांसद हैं. दोनों पार्टियों ने इस चुनाव में वोटिंग से दूरी बनाकर समान दूरी की नीति अपनाई है. BJD प्रमुख नवीन पटनायक ने इसे NDA और INDIA दोनों से “इकदूसरे से बराबरी” बनाए रखने की रणनीति बताया है. वहीं BRS ने किसानों की स्थिति का हवाला देते हुए कहा है कि अभी वह किसी भी उम्मीदवार को समर्थन देने की बजाय अपने किसानों को यूरिया उपलब्ध कराने की शर्त देख रही है. इन दोनों दलों के बहिष्कार से मतदान में भाग लेने वाले सांसदों की संख्या घटकर 770 रह गई है, जिससे उम्मीदवारों के बीच मुकाबला और भी संकीर्ण हो गया है।

INDIA ब्लॉक की रणनीति

INDIA गठबंधन क्रॉस-वोटिंग की संभावनाओं को लेकर सतर्क है। गठबंधन के नेतागण अपने सांसदों को “संविधान के प्रति ज़िम्मेदारी” की याद दिला रहे हैं कि वह सहयोगी उम्मीदवार के पक्ष में ही वोट करें. हालांकि, अंदरूनी जानकारों के मुताबिक विपक्षी भी जानते हैं कि ये चुनाव उनके पक्ष में नहीं रहने वाला है. एनडीए के सूत्रों का अनुमान है कि राज्यसभा में 150 से अधिक सांसद गुप्त रूप से गठबंधन की लाइन तोड़ कर मतदान कर सकते हैं. विपक्ष ने भी स्वीकार किया है कि वर्तमान स्थिति में जीत हासिल करना उनके लिए कठिन होगा.

निर्दलीय और छोटे दलों का रुख

मतदान में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं वे सांसद जो किसी बड़े गठबंधन से नहीं बंधे हैं। इस चुनाव में 7 निर्दलीय सांसद, एक-एक सांसद वाले अकाली दल और झारखंड पश्यात दल (ZPM) जैसे दल शामिल हैं, जिनका रुझान अभी साफ नहीं है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यदि ये सभी सांसद NDA उम्मीदवार C.P. राधाकृष्णन को वोट देते हैं, तो उन्हें 449 तक वोट मिल सकते हैं (जो पिछले चुनावों से कम है लेकिन जीत के लिए पर्याप्त). विपक्ष भी इन सांसदों को जोड़ने की कोशिश कर रहा है, लेकिन चूंकि मतदान गुप्त होता है, इसलिए अंतिम परिणाम तक सभी स्थितियां अनिश्चय में बनी रहेंगी.

राजनीति और नैतिकता की परीक्षा

इस चुनाव को कुछ वरिष्ठ पत्रकार और समीक्षक “राजनीतिक नैतिकता की परीक्षा” बता रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि उपराष्ट्रपति का पद मामूली नहीं है और सांसदों को पूरी समझदारी से मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए. जनता और मीडिया भी बारीकी से देख रहे हैं कि क्या सांसद संवैधानिक दायित्व के बजाए दलगत लाभ के लिए वोट करेंगे।

जीत तय, लेकिन अंतर अभी अनिश्चित

Vice Presidential Election 2025 सभी गणनाओं में NDA उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है. फिर भी मतगणना के दिन क्रॉस-वोटिंग या विपक्ष के आकस्मिक समर्थन के चलते जीत का अंतर बड़ा या छोटा हो सकता है. गुप्त मतदान की प्रकृति और कुछ दलों के पाला बदलने की आशंका ने इस मुकाबले को लचीला बना दिया है. परिणाम चाहे जैसा भी हो, इस चुनाव को 2026 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक ताकत के संकेत के रूप में देखा जाएगा।

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