Nepal इन दिनों गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। देश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं द्वारा शुरू किया गया आंदोलन अब बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन में बदल गया है। इस आंदोलन को “GenZ Protest” कहा जा रहा है, जिसमें नेपाल के नए युवा वर्ग ने नेतृत्व किया है। लगातार बढ़ते दबाव और हिंसक झड़पों के बीच प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
प्रदर्शन ने Nepal में लिया हिंसक रूप
पिछले कुछ दिनों से नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में हज़ारों की संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए। उनकी मुख्य मांग सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को तुरंत हटाने और भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करने की थी। जैसे-जैसे प्रदर्शन तेज़ हुआ, कई जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हुआ। संसद भवन और कुछ मंत्रियों के आवासों पर भी भीड़ ने हमला कर दिया। हालात इतने बिगड़े कि संसद भवन के एक हिस्से में आग लग गई, जिसे बुझाने के लिए सेना की मदद लेनी पड़ी।
हताहत और नुकसान
अभी तक की जानकारी के मुताबिक, प्रदर्शनों में 19 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इनमें कई सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। कई सरकारी भवनों और वाहनों को क्षति पहुँची है। राजधानी काठमांडू का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा, जिससे सैकड़ों उड़ानें प्रभावित हुईं और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
राजनीतिक संकट गहराया
प्रदर्शनों के दबाव और लगातार बिगड़ते हालात के बीच प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और गृह मंत्री रमेश लेखक ने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। ओली ने अपने इस्तीफ़े में कहा कि वे नहीं चाहते कि युवा आंदोलन और अधिक हिंसा में बदल जाए, इसलिए उन्होंने “देशहित” में यह कदम उठाया है। राजनीतिक हलकों में इसे नेपाल की अस्थिर राजनीति का एक और बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
भारत-Nepal सीमा पर हाई अलर्ट
नेपाल में बिगड़ते हालात का असर भारत पर भी पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार की नेपाल सीमा से लगे इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने सीमा चौकियों पर तैनात सुरक्षाबलों को विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। भीड़ या उपद्रवियों के सीमा पार आने की आशंका को देखते हुए चौकसी और बढ़ा दी गई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
नेपाल की इस स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चिंता जता रहा है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने हिंसा की निंदा करते हुए संयम बरतने की अपील की है। भारत सरकार ने कहा है कि वह नेपाल की जनता के साथ खड़ी है और पड़ोसी देश में स्थिरता देखना चाहती है। वहीं अमेरिका और चीन ने भी नेपाल सरकार से संवाद और शांति के रास्ते अपनाने का आग्रह किया है।
आगे की राह
नेपाल में युवाओं का यह आंदोलन अचानक भले ही शुरू हुआ हो, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इसकी जड़ें लंबे समय से पनप रही असंतोष में हैं। बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों से असहमति अब हिंसक रूप ले चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नेपाल की नई नेतृत्व व्यवस्था युवाओं को साथ लेकर नहीं चलती तो यह संकट और गहर सकता है। नेपाल इस समय गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के इस्तीफ़े के बाद वहां नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन हालात कब तक सामान्य होंगे यह कहना मुश्किल है। भारत सहित पड़ोसी देशों की नजरें नेपाल पर टिकी हैं।