Pakistan and Saudi Arabia की क्या है NATO डील, भारत को इस डील से क्या है खतरा

Photo of author

By Puspraj Singh

Pakistan and Saudi Arabia : पाकिस्तान और सऊदी अरब पाकिस्तान के बीच 17 सितम्बर 2025 को स्ट्रेटेजिक म्यूचुकअल डिफेंस एग्रीमेंट हुआ. जिसे दुनिया में इस्लामिक NATO समझौता कहा जा रहा है. पाकिस्तान ने इसे अन्य देशों के लिए खुला रखा है. इस म्यूचुअल डिफेंस पैक्ट में कहा गया कि किसी एक देश पर आक्रमण को दूसरे देश पर आक्रमण माना जायेगा. यह नाटो के अनुच्छेद 5 की तरह काम करता है. इस करार से यह भी समझने की जरूरत है कि इससे भारत पर क्या असर पड़ेगा. क्या इसे कोई खतरा माना जाना चाहिए.

इस करार के तहत रक्षा सहयोग तकनीकि का लेन देन, ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज और सैन्य उत्पादन में साझेदारी शामिल है. पाकिस्तान ने यह स्पष्ट किया है कि इसमे उसकी न्यूकिलयर क्षमतायें सऊदी अरब के लिए उपलब्ध होंगी. यह डील सऊदी अरब का अमेरिकी सुरक्षा गारंटी पर संदेह के कारण हुआ. नतीजन इजराइल की हालिया कार्यवाइयों के बाद सऊदी ने पाकिस्तान की ओर रुख किया है. इसका कारण सिर्फ ये है कि पाकिस्तान सिर्फ एकमात्र मुस्लिम न्यूक्लियर शक्ति देश है. पाकिस्तान ने कहा है कि यह पैक्ट अन्य अरब देशों (UAE कतर आदि)के लिए भी अभी खुला है. इसे इस्लामिक NATO का आधार बनाया जा सकता है.

भारत के लिए क्यों है Pakistan and Saudi Arabia डील से खतरा

पाकिस्तान और भारत के बीच खासकर कश्मीर मुद्दे को लेकर लगातार तनाव की स्थिति बनी रहती है. अगर भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष होता है तो सऊदी को इसमें खीचा जा सकता है. पाकिस्तान की न्यूक्लियर क्षमता सऊदी के लिए उपलब्ध होना भारत के लिए खतरा साबित हो सकता है. दोनो देशों के पास 1990 के दशक से न्यूक्लियर हथियार हैं. ऐसे में यह पैक्ट संघर्षों को न्यूक्लियर स्तर पर ले जा सकते हैं.

पाकिस्तान को अरब देशों से मिल सकता है समर्थन

सऊदी और UAE के साथ भारत के मजबूत आर्थिक-राजनीतिक संबंध हैं. ऐसे में इस पैक्ट से पाकिस्तान को अरब देशों का समर्थन मिल सकता है. इससे भारत के हितो पर बहुत प्रभाव पड़ेगा. कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है. अमेरिका पर विश्वसनीयता घटने के बाद गल्फ देश पाकिस्तान की ओर झुक रहे हैं. जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति को चुनौती दे सकते हैं.

भारत की Pakistan and Saudi Arabia डील पर प्रतिक्रिया

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सऊदी अरब से आपसी हितों और संवेदनशीलताओं का सम्मान करने की उम्मीद करता है. भारत ने फिलहाल इस पर कोई चिन्ता नहीं जताई है. भारत और सऊदी के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास को देखते हुये इसे कोई सीधा खतरा नहीं माना जा रहा है.

क्या कहता है यूएई

UAE ने अभी तक कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है. यूएई के पाकिस्तान से लंबे समय से रक्षा संबंध हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट में यूएई व कतर के पाकिस्तान के साथ समान समझौते की अटकलें हैं. लेकिन अभी तक इस पर कोई पुष्टि नहीं आई है. यूएई, सऊदी का गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल साझेदार होने के बावजूद अपने देश के अनुरूप विदेंश नीति अपनाते है, और भारत के साथ मजबूत आर्थिक-रक्षा संबंध रखते है.

भारत क्या कर सकता है.

रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो यूएई-भारत कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूत करें. संयुक्त सैन्य अभ्यास को बढ़ायें और हथियार खरीद भारत को प्राथमिकता दें. यह पाक-सऊदी धुरी का मुकाबला करेगा. भारत को सऊदी के साथ रक्षा डील को तेज करना चाहिए. ताकि पाकिस्तान का प्रभाव सीमित रहे.

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.